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पी. चिदंबरम ने किया बड़ा दावा: 26/11 मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान पर कार्रवाई रोकने का लगाया आरोप

पी. चिदंबरम ने किया बड़ा दावा: 26/11 मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान पर कार्रवाई रोकने का लगाया आरोप

कांग्रेस नेता और पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने दावा किया है कि 26 नवंबर, 2008 के मुंबई हमले के बाद वे पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के पक्ष में थे, लेकिन उस समय विदेश मंत्रालय ने इसे रोक दिया। 

नई दिल्ली: 26/11 मुंबई हमलों के 15 साल बाद कांग्रेस नेता और पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने दावा किया कि मुंबई हमलों के बाद वे पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई के पक्ष में थे, लेकिन तत्कालीन विदेश मंत्रालय ने ऐसा करने से रोक दिया। चिदंबरम ने कहा कि हमले के तुरंत बाद उन्हें वित्त मंत्रालय से गृहमंत्रालय में भेजा गया था। 

उस समय पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने आतंकवादी हमलों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। चिदंबरम ने यह भी कहा कि वे पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई चाहते थे, लेकिन मंत्रालय के अधिकारियों ने कूटनीतिक और संवाद के माध्यम से समाधान को प्राथमिकता दी।

26/11 मुंबई हमलों की तत्कालीन परिस्थितियां

26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से आए लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई में कई जगहों पर हमला किया। हमलों में 166 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। प्रमुख ठिकानों में ताज होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल, ओबेरॉय होटल और नरीमन हाउस शामिल थे। हमले के चौथे दिन यानी 29 नवंबर 2008 को भारतीय सुरक्षा बलों ने सभी आतंकियों का खात्मा कर दिया। आतंकियों में से अजमल कसाब एकमात्र था जिसे जिंदा पकड़ा गया और बाद में अदालत के आदेश से फांसी दी गई।

चिदंबरम का दावा

एबीपी न्यूज को दिए गए इंटरव्यू में चिदंबरम ने कहा कि वे पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई के पक्ष में थे, लेकिन विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने इसे रोक दिया। उनका कहना था, विदेश मंत्रालय ने यह साफ किया कि पाकिस्तान पर हमले का आइडिया गलत है। दोनों देशों के बीच तनाव को केवल कूटनीति और रचनात्मक बातचीत के माध्यम से सुलझाया जा सकता है।

चिदंबरम ने यह भी बताया कि इस समय प्रणब मुखर्जी विदेश मंत्री थे। मंत्रालय ने सरकार को समझाया कि मिलिट्री एक्शन का विकल्प जोखिम भरा है और इससे स्थिति और बिगड़ सकती है।

गृहमंत्रालय में तबादला

मुंबई हमलों के तुरंत बाद, शिवराज पाटिल ने हमलों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गृहमंत्रालय से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद चिदंबरम को वित्त मंत्रालय से गृहमंत्रालय भेजा गया। चिदंबरम ने कहा कि वे इस तबादले के लिए तैयार नहीं थे, मैं वित्त मंत्रालय से नहीं निकलना चाहता था। मैंने पांच बजट पेश किए थे और अगले साल चुनाव होने वाले थे। लेकिन प्रधानमंत्री का फोन आया जिसमें बताया गया कि उन्हें गृह मंत्रालय में भेजने का सामूहिक निर्णय लिया गया है।

चिदंबरम ने यह भी जोर दिया कि उनका मकसद केवल पाकिस्तान पर सटीक और तात्कालिक कार्रवाई करना था, लेकिन परिस्थितियों और विदेश मंत्रालय की सलाह के कारण यह संभव नहीं हो पाया। चिदंबरम के बयान के अनुसार, 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत की नीति पूरी तरह बदल गई। भारत ने पाकिस्तान से होने वाली हर आतंकवादी वारदात के बाद कड़ा और त्वरित जवाबी कार्रवाई करना शुरू किया। आतंकियों और उनके संरक्षकों पर सीधा हमला करना अब रणनीतिक नीति का हिस्सा बन गया है।

सबसे ताजा उदाहरण ऑपरेशन सिंदूर है, जिसमें भारत ने आतंकियों और उनके ठिकानों पर सटीक और निर्णायक कार्रवाई की। इस नीति परिवर्तन के बाद भारत ने पाकिस्तान पर अपने सुरक्षात्मक और रणनीतिक विकल्पों का स्पष्ट संदेश दिया।

 

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