Pune

UP Politics: ऊंचाहार सीट पर सपा का पलटवार, BJP को रोकने की रणनीति तैयार

UP Politics: ऊंचाहार सीट पर सपा का पलटवार, BJP को रोकने की रणनीति तैयार

सपा से निष्कासित विधायक मनोज पांडे के इस्तीफे की अटकलों के बीच समाजवादी पार्टी ने उपचुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी घोसी मॉडल पर ऊंचाहार सीट जीतने की रणनीति बना रही है।

UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। रायबरेली की ऊंचाहार सीट से सपा विधायक मनोज कुमार पांडे के संभावित इस्तीफे की चर्चाएं जोरों पर हैं। सपा से निष्कासन के बाद दावा किया जा रहा है कि वह जल्द ही विधायक पद से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम सकते हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी राजनीतिक मोर्चाबंदी शुरू कर दी है और उपचुनाव की स्थिति में सीट बचाने के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दिया है।

सपा के रणनीतिकार कर रहे तैयारी

पार्टी सूत्रों की मानें तो सपा इस स्थिति के लिए पूरी तरह सतर्क है। अगर मनोज पांडे इस्तीफा देते हैं और ऊंचाहार सीट पर उपचुनाव होता है, तो पार्टी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरेगी। रणनीतिकारों का मानना है कि सपा 2023 के घोसी उपचुनाव वाली रणनीति को दोहराएगी, जिसमें पूरी एकजुटता और जमीनी स्तर की सक्रियता से सफलता हासिल की गई थी। पार्टी का फोकस एक जिताऊ उम्मीदवार पर होगा जो स्थानीय समर्थन जुटा सके और सपा के जनाधार को मज़बूत बनाए।

घोसी उपचुनाव बना सपा की प्रेरणा

2022 में सपा के टिकट पर घोसी सीट से विधायक बने दारा सिंह चौहान ने पार्टी छोड़कर बीजेपी से चुनाव लड़ा था। इस स्थिति में सपा ने कमान शिवपाल यादव को सौंपी थी। उन्होंने चुनाव से एक महीना पहले से ही वहां डेरा डाल दिया था।

पूरी ताकत और रणनीति के साथ मैदान में उतरे सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने बीजेपी के उम्मीदवार दारा सिंह को मात दी और उपचुनाव जीत लिया। अब पार्टी का मानना है कि ऊंचाहार में भी वैसी ही रणनीति अपनाकर सीट बचाई जा सकती है।

बागी विधायकों पर पार्टी की कड़ी कार्रवाई

सपा ने हाल ही में पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते तीन विधायकों—मनोज पांडे, अभय सिंह और राकेश प्रताप सिंह—को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इस फैसले के बाद राज्य की सियासत और गर्म हो गई है। खासतौर से मनोज पांडे के बीजेपी में जाने की संभावनाओं को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हैं। वहीं, अभय सिंह और राकेश प्रताप सिंह ने कहा है कि वे अपने समर्थकों से सलाह कर आगे का निर्णय लेंगे।

क्यों जरूरी है इस्तीफा

चूंकि तीनों विधायक पार्टी से निष्कासित हो चुके हैं, इसलिए उन पर दलबदल कानून लागू नहीं होता। ऐसे में अगर वे दल बदलते हैं, तो उन्हें अपनी सीट से इस्तीफा देना होगा। केवल इस्तीफे की स्थिति में ही इन सीटों पर उपचुनाव संभव हो पाएगा। ऐसे में सभी की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या ये विधायक अपने पद से इस्तीफा देते हैं या किसी अन्य रणनीति पर काम करते हैं।

सपा का चुनावी रवैया आक्रामक

इन तमाम संभावनाओं के बीच समाजवादी पार्टी कोई भी मौका गंवाना नहीं चाहती। पार्टी नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि चाहे स्थिति जैसी भी हो, चुनाव की पूरी तैयारी की जाएगी। संगठन स्तर पर सक्रियता बढ़ा दी गई है और संभावित प्रत्याशियों की पहचान की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। स्थानीय कार्यकर्ताओं को भी सतर्क रहने और जनता से संवाद बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।

Leave a comment