बीजेपी सांसद जगदम्बिका पाल ने कहा कि विपक्ष के आरोप बिना किसी ठोस सबूत के हैं और वे देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने सबूत मांगे थे, लेकिन विपक्ष कोई प्रमाण नहीं दे सका।
Patna: बिहार में मतदाता सूची में संशोधन और कथित ‘वोट चोरी’ के खिलाफ विपक्षी सांसदों के द्वारा सोमवार को आयोजित विरोध प्रदर्शन को लेकर बीजेपी के सांसद जगदम्बिका पाल ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया है कि उनके पास चुनाव आयोग और चुनाव प्रक्रिया के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है और वे केवल देश की जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। पाल ने कहा कि चुनाव आयोग ने विपक्ष से प्रमाण मांगे थे, लेकिन वे कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने विपक्ष के इस कदम को केवल राजनीतिक दांव-पेंच करार दिया।
चुनाव आयोग को लेकर विपक्ष के आरोप निराधार: जगदम्बिका पाल
जagdambika पाल ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि विपक्ष चुनाव आयोग के खिलाफ आरोप लगा रहा है, लेकिन उनके पास न तो कोई साक्ष्य हैं और न ही आरोपों में कोई मजबूती है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग देश की एक संवैधानिक संस्था है और इसे बेबुनियाद आरोपों से बदनाम करना सही नहीं।
पाल ने स्पष्ट किया, 'जब चुनाव आयोग ने विपक्ष से प्रमाण मांगे, तो वे चुप्पी साध गए। अगर आरोप सच होते तो वे अपने दावों का समर्थन करते। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। इसलिए यह स्पष्ट है कि विपक्ष देश की जनता को गुमराह कर रहा है।'
हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में भाजपा की सरकार
बीजेपी सांसद ने कहा कि आज हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में उनकी सरकार है, जो चुनाव आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता का प्रमाण है। वहीं कांग्रेस की सरकार अब केवल दो-तीन राज्यों तक सीमित रह गई है। उन्होंने कहा कि विपक्ष केवल चुनाव आयोग के खिलाफ ‘हिट एंड रन’ की रणनीति अपना रहा है, जिसका उद्देश्य लोकतंत्र और चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना है।
पाल ने कहा, 'चुनाव आयोग ने निष्पक्षता का प्रमाण दिया है और लोकतंत्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी की है। विपक्ष इसे स्वीकार करने के बजाय बिना किसी प्रमाण के आरोप लगा रहा है।'
सांसदों से बातचीत में भी विपक्ष विफल
जगदम्बिका पाल ने बताया कि सोमवार को जब 30 से अधिक विपक्षी सांसदों को चुनाव आयोग ने बातचीत के लिए बुलाया, तो उनके पास कोई ठोस प्रमाण नहीं था। पाल ने कहा, 'जब उनसे बातचीत के दौरान सबूत मांगे गए, तो वे एक भी प्रमाण नहीं दे सके। यह साबित करता है कि उनके आरोप केवल राजनीति के लिए हैं।'
पाल ने कर्नाटक की सरकार का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां के एक मंत्री ने मतदाता सूची के मुद्दे पर सवाल उठाए, तो सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मंत्री को बर्खास्त कर दिया। इससे स्पष्ट होता है कि बीजेपी सरकार किसी भी गलत कार्यवाही को बर्दाश्त नहीं करती।
विरोध प्रदर्शन के दौरान सांसदों की गिरफ्तारी
सोमवार को बिहार में मतदाता सूची संशोधन के मुद्दे पर विपक्षी दलों के सांसदों ने चुनाव आयोग के मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान 30 से अधिक सांसदों को पुलिस ने हिरासत में लेकर संसद मार्ग थाने ले जाया गया।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, निर्वाचन आयोग ने केवल 30 सांसदों को ही परिसर में प्रवेश की अनुमति दी थी, जबकि प्रदर्शनकारियों की संख्या इससे कहीं अधिक थी। साथ ही, विपक्षी सांसदों ने आयोग के परिसर में विरोध मार्च के लिए कोई आधिकारिक अनुमति भी नहीं ली थी। इसी कारण पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकते हुए कार्रवाई की। दो घंटे बाद सभी सांसदों को रिहा कर दिया गया।
मतदाता सूची में संशोधन: विपक्ष के आरोप और सरकार की सफाई
विपक्ष का आरोप है कि मतदाता सूची में संशोधन के दौरान अनियमितताएं हो रही हैं और इसका इस्तेमाल वोट चोरी के लिए किया जा रहा है। विपक्ष का दावा है कि मतदाता सूची में झूठे नाम जोड़े जा रहे हैं या असली मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं।
दूसरी ओर चुनाव आयोग और सरकार ने इन आरोपों को पूरी तरह गलत ठहराया है। उनका कहना है कि मतदाता सूची में संशोधन कानून और नियमों के तहत होता है, जिससे मतदाता सूची को अधिक सटीक और विश्वसनीय बनाया जाता है। चुनाव आयोग ने भी कई बार कहा है कि मतदाता सूची की समीक्षा प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष है।