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Wrong Blood Transfusion: A+ ब्लड ग्रुप में B+ चढ़ाने से क्या हो सकता है?

Wrong Blood Transfusion: A+ ब्लड ग्रुप में B+ चढ़ाने से क्या हो सकता है?

गलत ब्लड ट्रांसफ्यूजन गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है। अगर A+ ब्लड वाले व्यक्ति को गलती से B+ ब्लड दिया जाए, तो anti-B antibodies ट्रांसफ्यूज हुए B ब्लड पर हमला करती हैं, जिससे रेड ब्लड सेल्स फट सकती हैं और Acute Hemolytic Transfusion Reaction (AHTR) हो सकती है। अस्पतालों में क्रॉस-मैचिंग और सुरक्षा प्रक्रियाओं के जरिए इस जोखिम को कम किया जाता है।

Blood Transfusion: अगर A+ ब्लड ग्रुप वाले मरीज को गलती से B+ ब्लड दिया जाता है, तो यह गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकता है। भारत और अन्य देशों के अस्पतालों में मरीज और डोनर के ब्लड की संगतता क्रॉस-मैचिंग के जरिए सुनिश्चित की जाती है। यह प्रक्रिया हर ट्रांसफ्यूजन से पहले की जाती है ताकि Anti-B antibodies के कारण रेड ब्लड सेल्स के टूटने और Acute Hemolytic Transfusion Reaction (AHTR) जैसी परिस्थितियों से बचाव हो सके। सही ब्लड ग्रुप का चयन मरीज की सुरक्षा और जीवनरक्षा के लिए अत्यंत जरूरी है।

A+ को B+ ब्लड देने पर क्या होता है?

गलत ब्लड ट्रांसफ्यूजन गंभीर परिणाम दे सकता है। अगर A+ ब्लड वाले व्यक्ति को गलती से B+ ब्लड दिया जाए, तो उसके शरीर में मौजूद anti-B antibodies, ट्रांसफ्यूज हुए B ब्लड के B एंटीजन पर हमला करने लगते हैं। इससे रेड ब्लड सेल्स फटने लगती हैं और शरीर में Acute Hemolytic Transfusion Reaction (AHTR) जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रक्रिया के दौरान मरीज को तेज बुखार, ठंड लगना, पेशाब का रंग गहरा होना, पीठ दर्द, ब्लड प्रेशर में गिरावट और सांस लेने में तकलीफ जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, आधुनिक अस्पतालों में डॉक्टर दवा और सपोर्टिव ट्रीटमेंट से स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन जोखिम हमेशा मौजूद रहता है।

ब्लड ग्रुप और एंटीजन की अहमियत

हर इंसान का ब्लड ग्रुप उसके एंटीजन और एंटीबॉडी के आधार पर तय होता है। उदाहरण के लिए, A+ ब्लड में A एंटीजन और anti-B antibodies होती हैं, जबकि B+ ब्लड में B एंटीजन और anti-A antibodies होती हैं। यही अंतर गलत ट्रांसफ्यूजन में समस्या पैदा करता है।

क्रॉस-मैचिंग प्रक्रिया के दौरान मरीज और डोनर के खून की संगतता जांची जाती है। अगर किसी भी स्तर पर मेल नहीं होता है, तो ट्रांसफ्यूजन रोक दिया जाता है। यह दोहरी जांच प्रणाली अस्पतालों में मरीजों को सुरक्षित रखने के लिए अपनाई जाती है।

सुरक्षा और सावधानियां

गलत ब्लड ट्रांसफ्यूजन से बचने के लिए अस्पतालों में कई सुरक्षा उपाय लागू हैं। सैंपल को डोनर से लेकर मरीज तक दोहरी जांच के बाद ही क्लियर किया जाता है। इसके अलावा, ब्लड बैंक और ट्रांसफ्यूजन सेंटर नियमित रूप से कर्मचारियों को प्रशिक्षण देते हैं ताकि कोई त्रुटि न हो।

सावधानी के साथ ट्रांसफ्यूजन और सही ब्लड ग्रुप सुनिश्चित करना जीवन रक्षक है। मरीज और डॉक्टर दोनों को हमेशा जांच प्रक्रिया में सतर्क रहना चाहिए।

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