Columbus

यह टेस्ट कराएं और पहले ही जान लें हार्ट अटैक का खतरा

यह टेस्ट कराएं और पहले ही जान लें हार्ट अटैक का खतरा

हार्ट अटैक का खतरा पहले ही पहचानने में लिपोप्रोटीन (ए) ब्लड टेस्ट मदद कर सकता है। यह टेस्ट हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को जल्दी दिखाता है। भारत में हृदय रोग सबसे बड़ी मौतों का कारण है, लेकिन इस टेस्ट की जागरूकता कम है। इसे सभी उच्च जोखिम वाले लोगों को करवाना चाहिए।

Best Test To Diagnose Heart Attack Risk: डॉक्टरों का कहना है कि सही समय पर लिपोप्रोटीन (ए) ब्लड टेस्ट कराना हार्ट अटैक और स्ट्रोक से बचाव में अहम है। यह टेस्ट खून में हाई लिपोप्रोटीन (ए) की मात्रा को मापता है, जो हृदय की धमनियों में प्लाक जमा होने का संकेत देता है। भारत में हर साल लगभग 18 मिलियन लोग हृदय रोग से मरते हैं। इस टेस्ट से 55 साल की उम्र से पहले या पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को जोखिम का सही अनुमान मिल सकता है और समय रहते रोकथाम संभव है।

हार्ट अटैक का जोखिम पहचानने वाला टेस्ट

लिपोप्रोटीन (ए) टेस्ट हृदय रोगों का जोखिम पहले ही बता सकता है। यह टेस्ट रक्त में हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन की मात्रा मापता है। अत्यधिक लिपोप्रोटीन (ए) रक्त वाहिकाओं में प्लाक जमा करने का कारण बन सकता है, जिससे दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है।

लिपोप्रोटीन (ए) टेस्ट रोजमर्रा के ब्लड टेस्ट में शामिल नहीं होता। डॉक्टर केवल उच्च जोखिम वाले लोगों को ही इसे करवाने की सलाह देते हैं। यह टेस्ट हृदय रोग के शुरुआती संकेत दिखाने में सहायक है।

हार्ट अटैक का आनुवांशिक खतरा

नोवार्टिस द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि एशिया-पेसिफिक और मिडिल ईस्ट में तीन में से दो लोग नियमित हृदय परीक्षण नहीं कराते। लगभग 45% लोग आनुवांशिक जोखिम को पहचानते नहीं हैं। केवल 22% लोगों ने एलपी(ए) टेस्ट के बारे में सुना और 7% ने ही करवाया है।

हार्ट अटैक की जोखिम आनुवांशिक रूप से भी हो सकती है। लिपोप्रोटीन (ए) का बढ़ा स्तर परिवारिक इतिहास वाले लोगों में अधिक पाया जाता है और यह हृदय रोग की संभावना को बढ़ाता है।

डॉक्टरों की सलाह और हृदय रोग

अपोलो हॉस्पिटल्स के कार्डियोलॉजी निदेशक डॉ. ए. श्रीनिवास कुमार के अनुसार, भारत में हृदय रोग मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। उन्होंने कहा कि उच्च लिपोप्रोटीन (ए) जैसे जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता जरूरी है। दक्षिण एशियाई लोग विशेष रूप से संवेदनशील हैं।

भारत में 34% एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम रोगियों में एलपी(ए) उच्च पाया गया। डायबिटीज, मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर के साथ उच्च एलपी(ए) हृदय रोग की संभावना बढ़ा देता है।

लिपोप्रोटीन (ए) टेस्ट के फायदे

यह टेस्ट हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे का शुरुआती संकेत देता है। हाई रिस्क वाले लोगों में समय रहते पहचान और रोकथाम संभव होती है। डॉक्टरों की सलाह है कि 55 साल से पहले या परिवार में हृदय रोग का इतिहास होने पर टेस्ट जरूर कराएं।

साथ ही, स्ट्रोक या दिल का दौरा पहले पड़ चुका हो, पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं और डायबिटीज व हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों को भी यह टेस्ट कराना चाहिए।

लिपोप्रोटीन (ए) का कार्य

लिपोप्रोटीन (ए) एक विशेष प्रकार का कोलेस्ट्रॉल है जो प्लाक निर्माण में योगदान दे सकता है। यह हृदय और रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य का बायोमार्कर है ब्लड टेस्ट में इसका स्तर मापकर डॉक्टर यह अनुमान लगा सकते हैं कि हृदय रोग का जोखिम कितना है।

इसकी मात्रा लाइफटाइम स्थिर रहती है। किसी व्यक्ति की जीवनशैली इसे प्रभावित नहीं करती, इसलिए इसे किसी भी उम्र में मापा जा सकता है।

नॉर्मल और हाई लेवल

लिपोप्रोटीन (ए) का नार्मल लेवल 30 मिलीग्राम/डीएल से कम माना जाता है। इससे अधिक होने पर ब्लड में हाई कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है। पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं में इसका स्तर थोड़ी वृद्धि के साथ सामान्य होता है। नियमित जांच से जोखिम का अनुमान सही समय पर लगाया जा सकता है।

Leave a comment