आज हमारा देश अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस विशेष अवसर पर, देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सभी लोगों को शुभकामनाएं दीं। उपराष्ट्रपति (Jagdeep Dhankhar) ने इस दिन को न्याय, स्वतंत्रता और समानता का प्रतीक बताया। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे इस दिन को विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए कठिन परिश्रम करने के लिए प्रेरित करें।
Independence 2024: 15 अगस्त 2024 को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल्यों को उजागर करके भारत के लोकतंत्र की ताकत और उसकी नींव को मजबूत बनाने पर जोर दिया। उनका कहना है कि इन मूल्यों का सम्मान और पालन करना वास्तव में हमारे लोकतंत्र को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह दिन हमें न केवल स्वतंत्रता का उत्सव मनाने का मौका देता है, बल्कि हमें अपने संविधान और उसके मूलभूत सिद्धांतों की भी याद दिलाता है।
2047 तक 'विकसित भारत' का लक्ष्य-धनखड़
जगदीप धनखड़ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, '78वें स्वतंत्रता दिवस की आपको हार्दिक बधाई! यह महत्वपूर्ण दिन न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांतों का उत्सव है, जो हमारे जीवंत लोकतंत्र का आधार हैं, जो विश्व में सबसे बड़ा है। आइए हम एक राष्ट्र के रूप में अपनी सामूहिक यात्रा पर विचार करें और 2047 तक 'विकसित भारत' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर मेहनत करें।'
उपराष्ट्रपति ने दी शुभकामनाएं
भारत के उपराष्ट्रपति (जगदीप धनखड़) ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा, "मैं हमारे 78वें स्वतंत्रता दिवस पर सभी नागरिकों को दिल से शुभकामनाएं देता हूं। आज का यह विशेष दिन उन अनगिनत देश के वीरों के साहस और निस्वार्थ बलिदान की स्मृति को ताजा करता है, जिन्होंने संप्रभुता के रूप में भारत की नींव रखी। ऐसे में हम अपने स्वतंत्रता आंदोलन द्वारा स्थापित उच्च मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को फिर से जागृत करें।"
स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष को किया याद
स्वतंत्रता दिवस (15 August) पर उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अपने संदेश में देशवासियों से स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान स्थापित किए गए उच्च मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहने का आह्वान किया। उनका यह संदेश यह याद दिलाता है कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने जिन आदर्शों और मूल्यों के लिए संघर्ष किया, उन्हें बनाए रखना और उनका पालन करना हमारी जिम्मेदारी है। यह प्रतिबद्धता ही हमारे समाज को और मजबूत और एकजुट बनाती है, और हमारे लोकतंत्र को फलने-फूलने में सहायक होती है।