कर्नाटक में कांग्रेस में आंतरिक कलह के बीच, सीएम सिद्धरमैया के राजनीतिक सलाहकार बीआर पाटिल ने पद से इस्तीफा दे दिया। पाटिल ने इस्तीफे की वजहों को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा।
Karnataka: कर्नाटक कांग्रेस में आंतरिक कलह का माहौल लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बीच, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के राजनीतिक सलाहकार बीआर पाटिल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। पाटिल के इस्तीफे के बाद राज्य की राजनीति में हलचलें तेज हो गई हैं, और उनकी इस्तीफे की वजहों पर सवाल उठ रहे हैं।
बीआर पाटिल का इस्तीफा: कारण सार्वजनिक नहीं किए
बीआर पाटिल ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए बताया कि उन्होंने शुक्रवार को अपना इस्तीफा दिया। हालांकि, उन्होंने इस्तीफे के कारणों का खुलासा सार्वजनिक रूप से करने से मना कर दिया। पाटिल ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री को एक विस्तृत पत्र लिखा है और यदि मुख्यमंत्री उन्हें बुलाते हैं तो वे उनसे इस मामले में बात करेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस्तीफा वापस लेने का उनका कोई इरादा नहीं है।
पाटिल की राजनीतिक यात्रा और कांग्रेस में उनका योगदान
बीआर पाटिल एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने कई बार कलबुर्गी जिले के अलंद निर्वाचन क्षेत्र से विधायक के रूप में चुनाव जीते हैं। उन्होंने 1983 में जनता पार्टी, 2004 में जेडी(एस), 2013 में कर्नाटक जनता पार्टी और 2023 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनावी जीत हासिल की। इसके अलावा, पाटिल ने 1988 से 1994 तक एमएलसी के रूप में कार्य किया और 1991 से 1994 तक विधान परिषद के उपसभापति के पद पर रहे। पाटिल का इस्तीफा कर्नाटक कांग्रेस के भीतर आंतरिक विवादों को एक बार फिर उजागर कर रहा है।
पाटिल को नहीं मिला मंत्री पद
हालांकि 2023 में कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद, बीआर पाटिल को मंत्री पद दिए जाने की अटकलें थीं, लेकिन कांग्रेस ने प्रियांक खड़गे और शरण प्रकाश पाटिल को मंत्री पद दिया। इसके बाद, बीआर पाटिल को दिसंबर 2023 में मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। उनके इस्तीफे से यह साफ हो गया कि उन्हें पार्टी में अपनी उम्मीदों के मुताबिक स्थान नहीं मिल सका, जिससे उनके अंदर असंतोष पनप सकता है।
कांग्रेस पार्टी में बढ़ते विवाद
कर्नाटक के इस राजनीतिक घटनाक्रम से कांग्रेस पार्टी के भीतर का आंतरिक असंतोष उजागर हुआ है। पार्टी के नेता इस मुद्दे पर चुप हैं, लेकिन पाटिल के इस्तीफे ने इस बात की संभावना को और भी मजबूत किया है कि राज्य में कांग्रेस की स्थिति को लेकर भीतर ही भीतर असंतोष बढ़ता जा रहा है।