कर्नाटक: BBMP में 46,300 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप, ED को सौंपे गए 4,113 पन्नों के दस्तावेज

कर्नाटक: BBMP में 46,300 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप, ED को सौंपे गए 4,113 पन्नों के दस्तावेज
Last Updated: 26 नवंबर 2024

बेंगलुरु में भ्रष्टाचार के एक कथित बड़े मामले ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है। एंटी करप्शन फोरम के अध्यक्ष एनआर रमेश ने बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) पर 46,300 करोड़ रुपये के घोटाले का गंभीर आरोप लगाया है। रमेश ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को पत्र लिखते हुए बीबीएमपी के मुख्य आयुक्त समेत 18 वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

क्या है पूरा विवाद?

एनआर रमेश का दावा है कि बीबीएमपी ने 2013-14 से 2023-24 के बीच सड़क विकास परियोजनाओं, जिसमें सफेद टॉपिंग, नालियों की मरम्मत और सड़क डामरीकरण कार्य शामिल हैं, के लिए 46,300 करोड़ रुपये का भारी अनुदान प्राप्त किया। उनके अनुसार, इस राशि का 75% से अधिक हिस्सा घोटाले की भेंट चढ़ गया। यह आरोप कर्नाटक के प्रशासनिक कार्यों पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

4,113 पन्नों के दस्तावेज सौंपे गए

रमेश ने ईडी को 4,113 पन्नों का एक विस्तृत दस्तावेज सौंपा है, जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार से संबंधित सभी तथ्यों और प्रमाणों को सूचीबद्ध किया है। उन्होंने बीबीएमपी के मुख्य आयुक्त तुषार गिरिनाथ, प्रशासनिक अधिकारी उमाशंकर और अन्य 16 वरिष्ठ अधिकारियों पर इस घोटाले में प्रत्यक्ष भूमिका निभाने का आरोप लगाया है।

सार्वजनिक धन का कथित दुरुपयोग

पत्र में रमेश ने ईडी से अपील की है कि बीबीएमपी के भ्रष्ट अधिकारियों और आईएएस अधिकारियों के खिलाफ सार्वजनिक धन के दुरुपयोग, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह घोटाला सरकार के सभी स्तरों पर मिलीभगत का नतीजा है, जिससे बेंगलुरु की सड़कों और बुनियादी ढांचे को नुकसान हुआ है।

ईडी से जांच की अपील

एंटी करप्शन फोरम के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि बीबीएमपी ने इस अवधि के दौरान बेंगलुरु के विकास कार्यों के लिए जारी की गई राशि का सही उपयोग नहीं किया। उन्होंने ईडी से अपील की है कि बीएनएस-2023 के तहत सभी आरोपियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल

एनआर रमेश का यह कदम केवल घोटाले का पर्दाफाश नहीं करता, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही की भी मांग करता है। इस मामले ने राज्य के प्रशासनिक तंत्र पर एक गहरा सवालिया निशान लगा दिया है।

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