महाराष्ट्र चुनाव के संदर्भ में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि प्यार और युद्ध में सब कुछ जायज होता है। उन्होंने यह भी remarked किया कि शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी ने सभी राजनीतिक दलों को तोड़ने का काम किया है।
नितिन गडकरी ने आगे कहा कि शरद पवार ने शिवसेना को भी तोड़ा और छगन भुजबल समेत अन्य नेताओं को पार्टी से बाहर निकाल दिया। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राजनीति में ऐसे घटनाक्रम आम बात हैं।
नई दिल्ली: महाराष्ट्र चुनाव (Maharashtra Election) से पहले सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। जहां एक ओर भाजपा 'बटेंगे तो कटेंगे' के नारे के साथ राज्यभर में महाविकास अघाड़ी दल पर हमला कर रही है, वहीं एमवीए का दावा है कि लोकसभा चुनाव 2024 की तरह राज्य की जनता एक बार फिर उन पर विश्वास करेगी।
आपको बता दें कि 20 जनवरी को विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। राज्य की दो बड़ी पार्टियां चार हिस्सों में विभाजित हो चुकी हैं। एनसीपी और शिवसेना के दो गुट बन गए हैं। एनसीपी (शरद चंद्र पवार) और शिवसेना यूबीटी के नेता उद्धव ठाकरे का आरोप है कि भाजपा के कारण पार्टी में फूट पड़ी है।
नितिन गडकरी का आरोप, शरद पवार की वजह से टूटी पार्टियां
शरद पवार और उद्धव ठाकरे के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि प्यार और जंग में सब कुछ जायज है। उन्होंने यह भी बताया कि शरद पवार की नेतृत्व वाली एनसीपी ने विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
नितिन गडकरी ने आगे कहा कि शरद पवार ने शिवसेना को तोड़ दिया और छगन भुजबल समेत अन्य नेताओं को पार्टी से बाहर कर दिया, लेकिन यह राजनीति में एक सामान्य घटना है। यह सही है या गलत... एक पुरानी कहावत है, प्यार और राजनीति में सब कुछ जायज होता है।
पिछले साल एनसीपी दो हिस्सों में विभाजित हुई
जुलाई में, अजित पवार ने 40 विधायकों के साथ बगावत कर दी थी। 54 विधायकों वाली एनसीपी एक ही झटके में दो भागों में बंट गई। इस दौरान, अजित पवार का गुट भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के साथ सरकार में शामिल हो गया। अजित पवार को देवेंद्र फडणवीस के साथ राज्य का उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया गया।
2022 में शिवसेना का विभाजन
साल 2022 में शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे ने बगावत की। उद्धव ठाकरे के बेहद करीबी माने जाने वाले एकनाथ शिंदे ने 39 विधायकों के समर्थन के साथ बगावत का झंडा उठाया। शिंदे ने महाराष्ट्र विधानसभा में डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया, ताकि डिप्टी स्पीकर शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर कोई निर्णय न ले सकें।
हालांकि, अगर हम वर्तमान समय में महाराष्ट्र विधानसभा की बात करें, तो 288 विधानसभा सीटों में सत्तापक्ष यानी महायुति गठबंधन के पास 218 सीटें हैं, जबकि महाअघाड़ी दल यानी विपक्ष के पास 77 सीटें हैं। इसके अलावा, चार विधायकों ने किसी भी गठबंधन को समर्थन नहीं दिया है, और एक सीट खाली है।