No-detention-policy: केंद्र के 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को तमिलनाडु ने किया अस्वीकार, इसके खिलाफ जताया विरोध, जानिए पूरा मामला

No-detention-policy: केंद्र के 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को तमिलनाडु ने किया अस्वीकार, इसके खिलाफ जताया विरोध, जानिए पूरा मामला
Last Updated: 21 घंटा पहले

तमिलनाडु सरकार ने केंद्र की नो डिटेंशन पॉलिसी का विरोध किया है। राज्य के शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने इसे दुखद बताते हुए कहा कि इससे गरीब बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ेगा। राज्य में यह नीति जारी रहेगी।

No-detention-policy: केंद्र सरकार ने सोमवार को 5वीं से 8वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त कर दिया है। इसके तहत, अब यदि कोई छात्र परीक्षा में फेल हो जाता है, तो उसे अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। यह फैसला शिक्षा मंत्रालय द्वारा लिया गया था, लेकिन तमिलनाडु सरकार ने इसे विरोध करते हुए इसका पालन न करने का ऐलान किया है।

तमिलनाडु सरकार का विरोध

तमिलनाडु सरकार ने केंद्र के फैसले को अस्वीकार करते हुए इसे गरीब परिवारों के बच्चों के लिए नुकसानकारी बताया। स्कूल शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने कहा, "नो डिटेंशन पॉलिसी के कारण गरीब बच्चों को कक्षा 8 तक बिना किसी समस्या के शिक्षा मिलती है।

अगर इन्हें फेल कर दिया जाता है, तो उनका शिक्षा प्राप्त करना मुश्किल हो जाएगा।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि तमिलनाडु में यह नीति जारी रहेगी और राज्य में इस नीति का पालन किया जाएगा।

पहला विरोधी राज्य: तमिलनाडु

तमिलनाडु अब पहला विपक्षी राज्य बन गया है जिसने केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। इससे पहले, कई राज्यों ने केंद्र की आयुष्मान योजना को लागू करने से भी इनकार कर दिया था, क्योंकि वे पहले से बेहतर स्वास्थ्य योजनाएं चला रहे थे। पश्चिम बंगाल और दिल्ली जैसे राज्य इस विरोध में प्रमुख थे।

तमिलनाडु का रुख: शिक्षा नीति पर विरोध

तमिलनाडु सरकार ने यह भी कहा है कि राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) लागू नहीं की जाएगी। राज्य सरकार खुद एक विशेष शिक्षा नीति का मसौदा तैयार कर रही है। पोय्यामोझी ने यह बताया कि केंद्र के फैसले का असर केवल उन स्कूलों पर पड़ेगा, जिनका स्वामित्व केंद्र के पास है। उन्होंने अभिभावकों, छात्रों और शिक्षकों से अपील की कि वे इस बदलाव से चिंतित न हों, क्योंकि राज्य में नो डिटेंशन पॉलिसी जैसी है, वैसी ही जारी रहेगी।

क्या है नो डिटेंशन पॉलिसी?

नो डिटेंशन पॉलिसी शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत लागू की गई थी, जिसके अनुसार कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को तब तक फेल नहीं किया जा सकता, जब तक वे अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं कर लेते। इसका मतलब यह था कि इन कक्षाओं के छात्र, भले ही परीक्षा में फेल हो जाएं, फिर भी अगली कक्षा में प्रमोट कर दिए जाते थे। हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा 16 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों ने पहले ही इस नीति को समाप्त कर दिया था।

केंद्र सरकार का निर्णय

केंद्र सरकार का यह निर्णय शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के उद्देश्य से लिया गया है, लेकिन तमिलनाडु सरकार और कई अन्य राज्य इसके विरोध में खड़े हैं। केंद्र ने यह स्पष्ट किया कि प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक छात्रों को स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा, लेकिन तमिलनाडु सरकार ने इसे गरीब बच्चों के लिए एक बड़ा नुकसान माना है।

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