हाल ही में अजमेर शरीफ दरगाह के नीचे मंदिर होने के दावे के बाद से एक नया विवाद उभर कर सामने आया है। इस दावे को लेकर समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनके बयान ने इस विवाद को और तूल दे दिया है, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है।
रामजीलाल सुमन का बयान: "इतिहास में है दरगाह की सच्चाई"
सपा सांसद रामजीलाल सुमन ने कहा कि अजमेर शरीफ दरगाह की सच्चाई इतिहास में दर्ज है और यह 11वीं शताब्दी का ऐतिहासिक स्थल है। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू राजा भी इस दरगाह पर अकीदत के साथ आते थे, और इस बात को नकारा नहीं किया जा सकता। उनके अनुसार, जो मंदिर के दावे किए जा रहे हैं, वे गलत हैं, क्योंकि दरगाह की ऐतिहासिकता और महत्व को लेकर कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
मस्जिद के नीचे मंदिर का दावा और 1991 का एक्ट
सपा सांसद ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ लगाए जा रहे आरोपों का भी कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को मुगलों का वंशज नहीं बल्कि पैगंबर मोहम्मद का वंशज मानते हैं। इसके अलावा, रामजीलाल सुमन ने 1991 के पूजा स्थल संरक्षण कानून का हवाला देते हुए कहा कि इस कानून में साफ तौर पर लिखा गया है कि जहां मस्जिद है, वहां मस्जिद ही रहेगी और जहां मंदिर है, वहां मंदिर ही रहेगा।
संघ प्रमुख मोहन भागवत का संदर्भ
रामजीलाल सुमन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत का भी संदर्भ दिया, जिनके अनुसार "हर मस्जिद या दरगाह के नीचे खुदाई कराना उचित नहीं है।" उन्होंने कहा कि अजमेर शरीफ दरगाह पर बड़े से बड़े नेता और व्यक्ति जियारत करने आते हैं, और यह स्थान हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बन चुका है।
दरगाह: हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक
सपा के राष्ट्रीय महासचिव ने अजमेर शरीफ दरगाह की रिवायतों का जिक्र करते हुए कहा कि यहां पर हर साल प्रधानमंत्री की तरफ से चादरपोशी करवाई जाती है, जो इस दरगाह की धार्मिक और सांप्रदायिक एकता को दर्शाता है। रामजीलाल सुमन के अनुसार, इस दरगाह को लेकर विवाद उठाना बिल्कुल गलत है, क्योंकि यह भारतीय समाज की साझी धरोहर है।
हिंदू समाज की श्रद्धा
रामजीलाल सुमन ने यह भी बताया कि दरगाह पर जियारत करने वालों में मुस्लिम समुदाय से ज्यादा हिंदू समाज के लोग आते हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर बीजेपी को भी घेरा, और कहा कि कुछ लोग रात के सपने में भी बाबर और मुग़ल शासकों को देखते हैं, जबकि अजमेर शरीफ की दरगाह हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक है।
अजमेर शरीफ दरगाह पर मंदिर होने का विवाद अब और बढ़ता जा रहा है, और इस पर सपा सांसद रामजीलाल सुमन का बयान नए राजनीतिक चर्चाओं का विषय बन गया है। उन्होंने जहां एक तरफ दरगाह की ऐतिहासिकता को मजबूत करने की कोशिश की, वहीं दूसरी तरफ धार्मिक ध्रुवीकरण से बचने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। दरगाह को लेकर उठे इस विवाद में सियासी पेंच अब और ज्यादा गहरा हो सकता है, जो आगामी चुनावों में एक और मुद्दे के रूप में उभर सकता है।