ऑस्ट्रेलिया में लगातार हिन्दू मंदिरों पर हमले के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अब ब्रिसबेन में श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में हमला हुआ है। ऑस्ट्रेलिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ये हमला खालिस्तान समर्थकों ने किया है। यहां अज्ञात लोगों ने दीवारों पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बातें लिख दीं। इसके पहले 21 फरवरी की रात ब्रिस्बेन में भारतीय कॉन्स्यूलेट पर हमला हुआ था।
पिछले 2 महीनों में मंदिर पर हुए हमले की ये चौथी घटना है। सबसे पहले 12 जनवरी को मेलबर्न में बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर की दीवारों पर भी भारत विरोधी नारे लिखे मिले थे। इसके बाद 18 जनवरी को मेलबर्न के श्री शिव विष्णु मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी। 23 जनवरी को मलबर्न के अल्बर्ट पार्क में बने इस्कॉन मंदिर में भारत विरोधी नारे लिखे मिले थे।
खालिस्तानी झंडा कॉन्स्यूलेट में फेंका था
रिपोर्ट के मुताबिक, 21 फरवरी की रात कुछ खालिस्तान समर्थकों ने कॉन्स्यूलेट पर हमला किया और यहां खालिस्तान का फ्लैग फेंक दिया। 22 फरवरी की सुबह जब काउंसिल अर्चना सिंह यहां पहुंची तो उन्होंने झंडा देखा। अर्चना ने फौरन क्वीसलैंड पुलिस को मामले की जानकारी दी। पुलिस पहुंची और उसने फ्लैग अपने कब्जे में ले लिया।
ब्रिस्बेन में भारतीय कॉन्स्यूलेट स्वान रोड पर है। ये इलाका ब्रिस्बेन का सबअर्बन यानी उपनगरीय क्षेत्र है।
हिंदूओं को सतर्क रहने की जरूरत ऑस्ट्रेलिया एसोसिएशन ऑफ आयुर्वेद के अध्यक्ष डॉ. नवीन शुक्ला ने कहा- मेलबर्न में हुई घटनाएं दिखाती हैं कि हिंदू समुदाय को थोड़ा सतर्क होना पड़ेगा। मेलबर्न में जो हो रहा है, उसके कारण कनाडा और अमेरिका जैसे हालात यहां भी हो सकते हैं।
इसलिए सरकार को भी सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देना होगा।समुदाय में सक्रिय भारतीय मूल के बलजिंदर सिंह कहते हैं- ऐसी घटनाओं का भारत से यहां आकर बसने और पढ़ने वालों पर असर होगा। इस तरह की गतिविधियां करने वाले लोग असल में यहां रहने वाले और भविष्य में आने वाले भारतीयों के लिए ही समस्याएं पैदा करते हैं।
ऑस्ट्रेलिया में हिंदू तीसरा सबसे बड़ा धर्म
दरअसल, ऑस्ट्रेलिया में हिंदू तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। 2021 की जनगणना के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में 6.84 लाख हिंदू रहते हैं। यह वहां की आबादी का 2.7% है। वहीं सिखों की संख्या करीब 2.09 लाख है, जो कुल आबादी के 0.8% हैं।बड़ी बात यह है कि ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले 34% हिंदू 14 साल और 66% हिंदू 34 साल की उम्र वाले हैं।
यही नहीं, जुलाई 2022 के आंकड़ों के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में 96 हजार भारतीय छात्र पढ़ रहे थे। यह चीन के बाद विदेशी छात्रों की दूसरी सबसे बड़ी तादाद है।