Meta का बड़ा कदम: कंटेंट मॉडरेशन पॉलिसी में बदलाव, फैक्ट-चेकिंग की जगह कम्युनिटी नोट्स लागू करेगी कंपनी

Meta का बड़ा कदम: कंटेंट मॉडरेशन पॉलिसी में बदलाव, फैक्ट-चेकिंग की जगह कम्युनिटी नोट्स लागू करेगी कंपनी
Last Updated: 15 घंटा पहले

Meta: नई पॉलिसी के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट मॉडरेशन के तरीके में बदलाव सोशल मीडिया दिग्गज मेटा ने अपनी कंटेंट मॉडरेशन पॉलिसी में महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है। कंपनी अब अपनी फैक्ट-चेकिंग प्रक्रिया को समाप्त कर, इसके स्थान पर कम्युनिटी नोट्स फीचर को लागू करने जा रही है। इस परिवर्तन के बाद, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर कंटेंट मॉडरेशन का तरीका पूरी तरह से बदलने वाला है, और यह कदम सोशल मीडिया पर सूचना की सटीकता और पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक अहम प्रयास हो सकता हैं।

कम्युनिटी नोट्स क्या है नया फीचर?

कम्युनिटी नोट्स फीचर वर्तमान में एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर सक्रिय है, और अब मेटा इसे अपने प्लेटफॉर्म्स पर लागू करने की योजना बना रहा है। इस प्रणाली के तहत, यूजर्स खुद गलत जानकारी की फैक्ट-चेकिंग करेंगे। यदि किसी यूजर द्वारा साझा की गई जानकारी गलत साबित होती है, तो उसके पोस्ट के नीचे उस जानकारी का खंडन और संदर्भ दिखाई देगा। यह कदम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फैल रही गलत सूचनाओं को नियंत्रित करने के लिए एक बड़ा कदम हो सकता है, क्योंकि अब उपयोगकर्ता खुद इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल होंगे।

फैक्ट-चेकिंग प्रोग्राम को बंद करने की वजह

मेटा के संस्थापक और CEO मार्क जुकरबर्ग ने इस निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि थर्ड-पार्टी फैक्ट-चेकिंग प्रोग्राम अब बंद किया जा रहा है। उनके अनुसार, अमेरिका में फैक्ट-चेकिंग प्रोग्राम के दौरान राजनीतिक पक्षपाती रुख अपनाने की शिकायतें सामने आई हैं, जिससे यूजर्स का विश्वास घटा है। जुकरबर्ग का यह बयान उन आरोपों का जवाब है जो रिपब्लिकन और एक्स के मालिक एलन मस्क ने सार्वजनिक रूप से लगाए थे, जिन्होंने इस प्रोग्राम को सेंसरशिप के तौर पर देखा था।

फेसबुक और इंस्टाग्राम की कंटेंट पॉलिसी में बदलाव

इसके साथ ही, जुकरबर्ग ने घोषणा की कि फेसबुक और इंस्टाग्राम की कंटेंट पॉलिसी को भी सरल और लचीला बनाया जाएगा। विशेष रूप से इमिग्रेशन, जेंडर और अन्य संवेदनशील मुद्दों पर पहले जो पाबंदियां लगाई गई थीं, उन्हें अब हटाया जाएगा। इससे उपयोगकर्ताओं को अधिक स्वतंत्रता मिलेगी और प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट के संचालन के तरीके में अधिक लचीलापन देखा जाएगा।

क्या यह कदम ट्रंप से सुलह का प्रयास है?

मेटा द्वारा किए गए इस फैसले को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ जुकरबर्ग की सुलह की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है। ट्रंप ने मेटा की नीतियों पर कई बार सवाल उठाए हैं, खासकर उनकी उदारवादी विचारधारा के समर्थन और कंजर्वेटिव विचारों की अनदेखी को लेकर। इसीलिए जुकरबर्ग ने हाल ही में ट्रंप के इनॉगरेशन फंड में डोनेशन दिया और उनके करीबी सहयोगियों को मेटा में उच्च पदों पर नियुक्त किया है, ताकि वह ट्रंप और उनके समर्थकों के साथ अपने रिश्तों को बेहतर बना सकें।

क्या मेटा का यह कदम प्रभावी साबित होगा?

अब सवाल यह है कि मेटा का यह बड़ा कदम कितना प्रभावी रहेगा। क्या यह बदलाव सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उपयोगकर्ताओं को अधिक सशक्त बनाएगा या फिर यह एक और प्रयास होगा, जिसे भविष्य में सफलता नहीं मिल पाएगी? यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है, और इसके प्रभाव का वास्तविक मूल्यांकन तभी किया जा सकता है जब यह पॉलिसी पूरी तरह से लागू हो जाएगी।

मेटा द्वारा कंटेंट मॉडरेशन पॉलिसी में किया गया यह बदलाव निश्चित ही सोशल मीडिया की दिशा को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। हालांकि, यह कितना सफल होगा और इसका उपयोगकर्ता अनुभव पर क्या असर पड़ेगा, यह देखना बाकी है। फिलहाल, यह कदम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अधिक पारदर्शिता, सटीकता और नियंत्रण लाने के प्रयास के रूप में माना जा रहा है, और भविष्य में इसके परिणामों का मूल्यांकन किया जाएगा।

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