भारत को मंदिरो का देश कहा जाता है ,तो आओ जाने दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध कुछ धार्मिक तीर्थस्थलों के बारे में विस्तारपूर्वक

भारत को मंदिरो का देश कहा जाता है ,तो आओ जाने दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध कुछ धार्मिक तीर्थस्थलों के बारे में विस्तारपूर्वक
Last Updated: 22 मई 2024

भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है, और उत्तर भारत के साथ-साथ दक्षिण भारत में भी कई भव्य और सुंदर मंदिर हैं। इन शानदार मंदिरों को देखकर आप निश्चित रूप से आश्चर्यचकित रह जाएंगे। दक्षिण भारत के मंदिर केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विश्वभर में भी प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों और उनकी अद्भुत संरचनाओं ने भारत को एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर वाले देश के रूप में पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तमिलनाडु से लेकर आंध्र प्रदेश और ओडिशा तक, दक्षिण भारत में प्राचीन और उत्कृष्ट मंदिरों का एक समूह है, जो धार्मिक जुड़ाव के साथ-साथ समृद्धि के प्रतीक भी हैं। तमिलनाडु में सबसे अधिक मंदिर हैं। आइए इस लेख में दक्षिण भारत के 10 प्रमुख प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानें।

 

तिरुपति बालाजी मंदिर

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित यह मंदिर केवल दक्षिण भारत में ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है। तिरुपति पहाड़ की सातवीं चोटी पर स्थित स्वामी वेंकटेश्वर मंदिर, श्री स्वामी पुष्करिणी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। वेंकट पहाड़ी के स्वामी होने के कारण इन्हें वेंकटेश्वर कहा जाता है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर परिसर में कई खूबसूरती से बनाए गए द्वार, मंडपम और छोटे मंदिर हैं, जो अपने आप में महत्वपूर्ण हैं।

मुख्य आकर्षणों में पडी कवली महाद्वार, संपंग प्रदक्षिणम, कृष्ण देवर्या मंडपम, रंग मंडपम, ध्वजस्तंभ मंडपम, नदिमी पडी कविली, विमान प्रदक्षिणम, तिरुमला राय मंडपम और आईना महल शामिल हैं। तिरुपति का भक्तिमय वातावरण मन को श्रद्धा और आस्था से भर देता है। प्राचीन साहित्य स्रोतों के अनुसार, कलियुग में भगवान वेंकटेश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद ही मुक्ति संभव है। इसी कारण प्रतिदिन पचास हजार से अधिक श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास 9वीं शताब्दी से प्रारंभ होता है, जब कांचीपुरम के शासक वंश पल्लवों ने इस स्थान पर अपना आधिपत्य स्थापित किया था। यह मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में शीर्ष पर आता है।

 

नामद्रोलिंग मठ, बाइलाकुप्पे, कर्नाटक

नामद्रोलिंग न्यिंगमा मठ कर्नाटक के बाइलाकुप्पे में स्थित है, जो मैसूर जिले के पश्चिम में है। यहां स्थित प्रार्थना हॉल बहुत सुंदर है, जिसमें दो सोने की भव्य मूर्तियां हैं। यह तिब्बती बौद्ध धर्म के निंग्मा वंश का सबसे बड़ा शिक्षण केंद्र है। मठ में पाँच हजार से अधिक भिक्षुओं और ननों का एक समुदाय है। इसमें येशे वोडसाल शेरब रालद्री लिंग नामक एक जूनियर हाई स्कूल, एक धार्मिक कॉलेज और एक अस्पताल भी है।

श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर

भगवान रंगनाथम को समर्पित यह मंदिर दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जिसमें भगवान विष्णु लेटे हुए अवतार में उपस्थित हैं। यह मन्दिर तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली शहर के श्रीरंगम द्वीप पर स्थित है। 156 एकड़ में फैला यह मंदिर परिसर विश्व का सबसे विशाल क्रियाशील हिन्दू मंदिर है। कावेरी नदी के तट पर स्थित इस मंदिर को भू-लोक का वैकुंठ भी कहा जाता है और यह भगवान विष्णु को समर्पित 108 दिव्य दशमों में से एक है। मंदिर के विमानम का ऊपरी भाग सोने से जड़ा हुआ है, जहां आपको शांति की एक अलग अनुभूति होगी।

 

मीनाक्षी मंदिर

माता पार्वती को समर्पित यह मंदिर मीनाक्षी के रूप में प्रतिष्ठित है, और उनके साथ उनके पति भगवान शिव सुंदरेश्वर के रूप में विराजमान हैं। तमिलनाडु के मदुरै शहर में स्थित यह मंदिर प्राचीन भारत के सबसे भव्य और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह 3500 वर्ष से अधिक पुराना माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने सुंदरेश्वर रूप में अपने गणों के साथ पाड्य राजा मलयध्वज की पुत्री राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह रचाया था। इस मंदिर को इसके स्थापत्य और वास्तुकला के कारण सात अजूबों में नामांकित किया गया है।

 

तेलंगाना का ज्ञान सरस्वती मंदिर

तेलंगाना के निर्मल जिले के बासर गांव में स्थित ज्ञान सरस्वती मंदिर एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। सफेद पत्थरों से निर्मित इस मंदिर में मां सरस्वती की 4 फुट ऊंची भव्य प्रतिमा स्थापित है। प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में है और लक्ष्मी जी की भी प्रतिमा यहाँ विराजमान हैं। मंदिर के एक स्तंभ से संगीत के सातों स्वर सुनाई देते हैं। प्राचीन कथाओं के अनुसार, मां सरस्वती के मंदिर से थोड़ी दूरी पर दत्त मंदिर है, जहां से गोदावरी नदी तक एक सुरंग जाती थी, जो अब बंद है।

 

हंपी, कर्नाटक

तुंगभद्रा नदी के तट पर बसा हंपी शहर प्राचीन विजयनगर राजवंश की राजधानी हुआ करता था। हंपी को तुंगभद्रा नदी के पुराने नाम पंपा से जाना जाता है। इस शहर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है, क्योंकि यहाँ विजयनगर शासनकाल के अनेक मंदिर और महल मौजूद हैं। हंपी में होयसला स्थापत्यकला की शानदार इमारतें देखी जा सकती हैं। यहाँ भगवान शिव का विरुपक्षा मंदिर और अन्य ऐतिहासिक स्थल हैं, जो इतिहास की कहानियाँ बयां करते हैं।

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