Maa Lakshmi: शक्रवार के दिन करें मां लक्ष्मी की पूजा- आरती, देवी मां की बनी रहेगी कृपा

Maa Lakshmi: शक्रवार के दिन करें मां लक्ष्मी की पूजा- आरती, देवी मां की बनी रहेगी कृपा
Last Updated: 20 सितंबर 2024

शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन मां लक्ष्मी की सच्चे हृदय से पूजा करता है, उसे धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मां लक्ष्मी की कृपा से जीवन में आर्थिक संकट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।

Friday Astro Tips: सनातन धर्म में देवी लक्ष्मी की पूजा को अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना गया है, विशेष रूप से शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी की उपासना के लिए उत्तम समझा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो साधक पवित्रता का पालन करते हुए श्रद्धा और भक्ति से मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मां लक्ष्मी धन, समृद्धि, और वैभव की देवी हैं, और उनके आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में कभी आर्थिक तंगी नहीं आती।

शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा में विशेष ध्यान देने वाली बातों में पवित्रता, सफेद रंग का वस्त्र, और सफेद पुष्प अर्पित करना शामिल है। इसके अलावा, देवी को खीर या सफेद मिष्ठान का भोग लगाना भी लाभकारी माना जाता है।

श्री कनकधारा स्त्रोत का करें पाठ

धन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए शुक्रवार को 'श्री कनकधारा स्तोत्र' का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। यह स्तोत्र भगवान शंकराचार्य द्वारा रचित है और इसमें मां लक्ष्मी से प्रार्थना की जाती है कि वे अपने भक्तों पर कृपा बरसाएं और उनके जीवन से धन-संबंधी सभी समस्याएं दूर करें। कनकधारा स्तोत्र के नियमित पाठ से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि का आगमन होता है, और उसका आर्थिक जीवन सफल होता है।

श्री कनकधारा स्तोत्रम्

अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती

भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्।

अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीला

माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः।।1।।

 

मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः

प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।

माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या

सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः।।2।।

 

आमीलीताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दं

आनन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम्।

आकेकरस्थितकनीनिकपक्ष्मनेत्रं

भूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः।।3।।

 

बाह्वन्तरे मधुजितः श्रितकौस्तुभे या

हारावलिव हरिणीलमयी विभाति।

कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला

कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः।।4।।

 

कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेः

धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव।

मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्तिः

भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः।।5।।

 

प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत्प्रभावान्

माङ्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्मथेऽपि।

ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्धम्

इन्दीवरोदर सहोदरमिन्दिरायाः।।6।।

 

इष्टाविशिष्टमतयोऽपि यया दयार्द्र

दृष्ट्या त्रिविष्टपपदं सुलभं लभन्ते।

दृष्टिः प्रहृष्टकमलोदरदीप्तिरिष्टां

पुष्टिं कृशीष्ट मम पुष्करविष्टरायाः।।7।।

 

दद्याद्दयानुपवनो द्रविणाम्बुधारां

अस्मिन्नकिञ्चनविहङ्गशिशौ विषण्णे।

दुष्कर्मधर्ममपनीतचिराय दूरं

नारायणप्रणयिनी नयनाम्बुवाहः।।8।।

 

गीर्देवता इति गरुडध्वज भामिनी श्रीः

शाकम्भरीति शशिशेखर वल्लभेति।

सृष्टिस्थितिप्रलयकेलिषु संस्थितायै

तस्यै नमस्त्रिभुवनैकगुरोस्तरुण्यै।।9।।

 

श्रुत्यै नमोऽस्तु शुभकर्मफलप्रसूत्यै

रत्यै नमोऽस्तु रमणीय गुणार्णवायै।

शक्त्यै नमोऽस्तु शतपत्रनिकेतनायै

पुष्ट्यै नमोऽस्तु पुरुषोत्तमवल्लभायै।।10।।

 

मां लक्ष्मी की आरती

जय लक्ष्मी माता

जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशिदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥

 

जय लक्ष्मी माता...

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

 

जय लक्ष्मी माता...

दरिद्रता-दुख-भय हरिता, सुफल प्रदान।

जिस घर में तुम रहतीं, तहां सर्व-संपत्ति॥

 

जय लक्ष्मी माता...

तुम बिन यज्ञ होते, वस्त्र कोई पाता।

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

 

जय लक्ष्मी माता...

शुभ-गुण मंदिर सुशोभित, दर सुंदर गाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहिं पाता॥

 

जय लक्ष्मी माता...

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई गाता।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥

 

जय लक्ष्मी माता...

 

 

 

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