मई 2025 का महीना धार्मिक, सांस्कृतिक और खगोलीय दृष्टिकोण से बेहद विशेष रहने वाला है। इस महीने एक ओर जहां आस्था से जुड़े बड़े व्रत-त्योहार जैसे सीता नवमी, वट सावित्री व्रत, बुद्ध पूर्णिमा और शनि जयंती श्रद्धा और भक्ति का वातावरण बनाएंगे, वहीं दूसरी ओर 6 प्रमुख ग्रहों का राशि परिवर्तन ज्योतिषीय प्रभावों को लेकर भी खास महत्व रखने वाला है। इस माह को विशेष बनाने वाली बात यह है कि यह वैशाख और ज्येष्ठ मास के संधिकाल में आता है, जो कि स्वयं में ही पुण्यकाल माना जाता है।
मई में कुल छह ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे, जिनमें बुध दो बार अपनी राशि बदलेगा। इन गोचरों का प्रभाव भारत सहित विश्वभर के ज्योतिषीय प्रभावों को प्रभावित करेगा। आइए जानते हैं मई 2025 के प्रमुख व्रत, त्योहार और ग्रह गोचर की विस्तृत जानकारी।
व्रत-त्योहारों की श्रृंखला: भक्ति और परंपरा का संगम
- 3 मई – गंगा सप्तमी: मां गंगा के अवतरण का यह पर्व 3 मई को मनाया जाएगा। इस दिन गंगा जल में स्नान कर दान-पुण्य का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इसी दिन गंगा का पुनर्जन्म हुआ था।
- 5 मई – सीता नवमी: भगवान श्रीराम की अर्धांगिनी माता सीता के जन्मदिवस को सीता नवमी कहा जाता है। विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए उपवास रखती हैं। यह व्रत स्त्री शक्ति और पतिव्रता धर्म का प्रतीक है।
- 8 मई – मोहिनी एकादशी: वैष्णव परंपरा में यह व्रत अत्यंत फलदायी माना गया है। समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में अमृत बांटा था। यह दिन मोह माया से मुक्ति का संदेश देता है।
- 11 मई – नृसिंह जयंती: भगवान विष्णु के उग्र रूप नृसिंह ने इसी दिन हिरण्यकश्यप का वध कर धर्म की रक्षा की थी। इस दिन उपवास और संध्या पूजा का विशेष महत्व है।
- 12 मई – बुद्ध पूर्णिमा एवं कूर्म जयंती: यह दिन द्वैत्य पर्वों से युक्त रहेगा। भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान और महापरिनिर्वाण का दिन बुद्ध पूर्णिमा और भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की स्मृति में मनाई जाने वाली कूर्म जयंती एक साथ आएगी।
- 13 मई – नारद जयंती: देवर्षि नारद के ज्ञान, भक्ति और संवाद शैली को समर्पित यह दिन संचार और संगीत क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए आदर्श माना जाता है।
- 16 मई – एकदंत संकष्टी चतुर्थी: भगवान गणेश को समर्पित यह व्रत संकट हरने वाला माना जाता है। रात्रि में चंद्रदर्शन के बाद व्रत पूर्ण किया जाता है।
- 23 मई – अपरा एकादशी: यह व्रत पापों से मुक्ति दिलाने वाला होता है। मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने से पूर्व जन्म के दोष भी समाप्त होते हैं।
- 24 मई – शनि प्रदोष व्रत: शनिवार को पड़ने वाला यह प्रदोष व्रत शिव और शनि दोनों की कृपा प्राप्ति का दुर्लभ अवसर है। रात्रि में शिव पूजा का विशेष महत्व है।
- 26 मई – शनि जयंती और वट सावित्री व्रत: इस दिन भगवान शनि का जन्मदिवस मनाया जाएगा। वहीं, सुहागन स्त्रियों द्वारा वट वृक्ष की पूजा और व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है।
- 27 मई – भौमवती अमावस्या: अमावस्या तिथि के साथ मंगलवार का योग इसे और भी विशेष बनाता है। इस दिन पितृ तर्पण, दान और स्नान का विशेष महत्व होता है।
मई 2025 में 6 ग्रहों का गोचर: किसे क्या मिलेगा फल
इस बार मई का महीना केवल धार्मिक आयोजनों से नहीं, बल्कि खगोलीय हलचलों से भी भरपूर रहेगा। कुल 6 ग्रह अपनी स्थिति में बदलाव करेंगे। ये परिवर्तन राशियों पर गहरा प्रभाव डालेंगे।
- बुध (Mercury): बुद्धि और व्यापार के कारक ग्रह बुध दो बार राशि बदलेंगे। इसका प्रभाव विद्यार्थियों, पत्रकारों और व्यापारी वर्ग पर विशेष रूप से पड़ेगा।
- सूर्य (Sun): सूर्य के गोचर से राजनीतिक हलचलों और प्रशासनिक निर्णयों में प्रभाव देखने को मिल सकता है।
- शुक्र (Venus): शुक्र का गोचर वैवाहिक जीवन, प्रेम संबंधों और मनोरंजन उद्योग में बदलाव का संकेत देता है।
- गुरु (Jupiter): गुरु का राशि परिवर्तन शिक्षा, धर्म और गुरु-शिष्य परंपरा से जुड़े लोगों के लिए शुभ रहेगा।
- राहु-केतु: छाया ग्रह राहु और केतु भी इस माह राशि परिवर्तन करेंगे, जो कि आध्यात्मिक और मानसिक स्थितियों पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।
मई 2025 का महीना एक ओर जहां धर्म और व्रतों से जुड़ा हुआ है, वहीं दूसरी ओर खगोलीय घटनाएं इसे और भी आकर्षक बना रही हैं। जो लोग जीवन में संतुलन, ऊर्जा और सकारात्मकता लाना चाहते हैं, उनके लिए यह महीना विशेष साधनाओं, व्रतों और ग्रह स्थितियों को समझने का उपयुक्त समय है। भक्ति और ज्योतिष के अद्भुत संगम से परिपूर्ण यह महीना आपके लिए अनेक संभावनाओं के द्वार खोल सकता है।