कम उम्र में Fatty Liver का खतरा: समय रहते जागरूक होकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से बचें

कम उम्र में Fatty Liver का खतरा: समय रहते जागरूक होकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से बचें
Last Updated: 7 घंटा पहले

लिवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो कई आवश्यक कार्यों में योगदान देता है। इसलिए, स्वस्थ रहने के लिए लिवर का स्वस्थ होना बेहद जरूरी है। लेकिन तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और अस्वस्थ खानपान के कारण लिवर बीमार हो सकता है, जिससे Fatty Liver जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इससे बचने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

लिवर हमारे शरीर का एक शक्तिशाली अंग है, जो कई महत्वपूर्ण कार्य करता है, जैसे कि डिटॉक्सिफिकेशन, बाइल उत्पादन, न्यूट्रिएंट्स का मेटाबॉलिज़्म, और प्रोटीन सिंथेसिस में मदद करता है। यह हार्मोन के संतुलन को भी बनाए रखता है। लिवर शरीर का सबसे बड़ा अंग है। आज के आधुनिक लाइफस्टाइल में, जहां विभिन्न प्रकार के केमिकल और भारी धातुओं का प्रभाव पड़ता है, ये सभी लिवर पर दबाव डालते हैं। इसके अलावा, जंक, प्रोसेस्ड, और पैकेज्ड फूड्स फैटी लिवर की समस्या को और बढ़ावा देते हैं।

फैटी लिवर क्या है?

जब लिवर की कोशिकाओं में अधिक मात्रा में वसा जमा होने लगता है, तो इससे कई तरह के इन्फ्लेमेटरी प्रभाव उत्पन्न होते हैं। इस स्थिति को "फैटी लिवर" कहा जाता है। यह अधिकतर डाइटरी फैट के बजाय रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, जैसे सोडा, कैंडी, मैदा और बेकरी उत्पादों के सेवन के कारण होता है। फैटी लिवर अतिरिक्त इंसुलिन के स्तर का संकेत देता है, जो शरीर में विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

जब हम रिफाइंड कार्ब्स और शुगर से भरपूर आहार लेते हैं, तो यह लिवर पर अतिरिक्त दबाव डालता है। ग्लूकोज लिपोजेनेसिस की प्रक्रिया के जरिए ये ट्राइग्लिसराइड्स और बॉडी फैट में बदल जाते हैं, और इनमें से अधिकांश वसा लिवर में जमा हो जाती है। यह स्थिति अन्य कई बीमारियों, जैसे डायबिटीज, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, पीसीओएस और मोटापे का कारण बन सकती है। आजकल, फैटी लिवर कम उम्र के लोगों में भी देखने को मिल रहा है, जिसका मुख्य कारण आज की जीवनशैली है, जो इस समस्या को बढ़ावा देती है।

फैटी लिवर इन कारणों से ट्रिगर होता है:

चीनी: अधिक मात्रा में चीनी का सेवन लिवर में वसा जमा करने में योगदान कर सकता है।

प्रोसेस्ड फूड्स: जंक फूड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में उच्च फैट और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट होते हैं।

स्ट्रेस: तनाव हार्मोन स्तर को प्रभावित करता है, जिससे लिवर पर दबाव पड़ता है।

शराब: अत्यधिक शराब का सेवन लिवर की कोशिकाओं को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।

इनएक्टिव लाइफस्टाइल: गतिहीनता लिवर के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।

एक्सरसाइज करना: नियमित व्यायाम की कमी से वजन बढ़ सकता है, जो फैटी लिवर को बढ़ावा देता है।

किसी पोषक तत्व की कमी: विशेष पोषक तत्वों की कमी लिवर के सही कार्य में बाधा डाल सकती है।

फैटी लिवर के संकेत निम्नलिखित होते हैं:

स्किन और आंखों का पीला होना: बाइल जिंजाइटिस के कारण हो सकता है।

पेट दर्द: लिवर में सूजन या दबाव के कारण।

पेट में सूजन: लिवर की स्थिति के बिगड़ने पर।

कम भूख लगना: शरीर के सामान्य कामकाज में बदलाव।

गाढ़ा पीला यूरीन: शरीर में डिटॉक्सिफिकेशन में समस्या।

उल्टी और मितली: पाचन में बाधा आने से।

स्किन में खुजली: बाइल के स्तर में वृद्धि से।

थकान: शरीर की ऊर्जा में कमी।

वजन घटना: लिवर की कार्यक्षमता में कमी के कारण।

फैटी लिवर से बचाव के उपाय

फैटी लिवर को नियंत्रित करने के लिए कुछ सरल उपायों को अपनाना आवश्यक है। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:

सैचुरेटेड फैट से बचें: तले-भुने और जंक फूड्स का सेवन कम करें।

हेल्दी फैट का सेवन करें: अपने आहार में ऑलिव ऑयल और देसी घी को शामिल करें।

रेड मीट और प्रोसेस्ड फूड्स से दूरी: बेकन और सफेद ब्रेड जैसी चीजों से परहेज करें।

पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थों का सेवन: अखरोट, एवोकाडो, हरी सब्जियाँ, सनफ्लावर सीड्स, और ओट्स को अपनी डाइट में शामिल करें।

नियमित व्यायाम: एक सक्रिय जीवनशैली अपनाएं, जैसे चलना, दौड़ना या जिम जाना।

तनाव प्रबंधन: तनाव को कम करने के लिए योग और ध्यान का अभ्यास करें।

हाइड्रेटेड रहें: पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें।

 

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