अफगानिस्तान के बाख प्रांत में गुरुवार को गवर्नर मोहम्मद दाउद मुज्जमिल के दफ्तर पर फिदायीन हमला हुआ। इसमें मुज्जमिल की मौत हो गई। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन IS के खोरासान ग्रुप ने ली है। मुज्जमिल का दफ्तर बाख प्रांत की राजधानी मजार-ए-शरीफ में स्थित है।
अफगानिस्तान सरकार के प्रवक्ता मोहम्मद शाहीन ने एक बयान में कहा- फिलहाल, हमें जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक कुछ लोग अपनी समस्याओं को लेकर मुज्जमिल से मिलने पहुंचे थे। इन्हीं में से कोई फिदायीन हमलावर था। मामले की जांच की जा रही है।
तालिबान के बड़े नेता थे दाऊद मुज्जमिल
‘टोलो न्यूज’ के मुताबिक, दाउद मुज्जमिल तालिबान के टॉप लीडर्स में से एक थे। यही वजह है कि उन्हें बाख जैसे अशांत प्रांत की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। दाउद को तालिबान के सबसे काबिल पब्लिक एडमिनिस्ट्रेटर्स में से एक माना जाता था। यही वजह है कि उन्हें सबसे पहले नांगरहार प्रॉविंस की जिम्मेदारी सौंपी गई। वहां जब उन्होंने हालात काबू कर लिए तो उन्हें बाख भेजा गया।
इस प्रांत में इस्लामिक स्टेट खोरासाना ग्रुप का दबदबा माना जाता है और यही वजह है कि यहां अकसर तालिबान के साथ उसकी झड़पें होती रहती हैं। इन झड़पों में ज्यादातर आम लोग मारे जाते हैं। 2022 की शुरुआत में उन्हें बाख भेजा गया था।
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा- तालिबान इस मामले की जांच कर रहे हैं। हमें पूरा भरोसा है कि हम जल्द इस कत्ल की साजिश रचने वालों तक पहुंच जाएंगे, जिन लोगों ने यह हमला किया, वो इस्लाम के दुश्मन हैं।
चीनी होटल पर भी तीन महीने पहले हुआ था हमला
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में दिसंबर में चीनी होटल के नाम से मशहूर एक रेस्टोरेंट और गेस्ट हाउस पर हमला हुआ था। तीन हमलावरों ने होटल को निशाना बनाया था। हमले में दो विदेशी मारे गए थे। इस हमले के बाद तालिबान ने आतंकी हमलों की कवरेज पर रोक लगा दी थी। हालांकि, बाद में इसे हटा लिया गया।
इस हमले के कुछ दिन पहले पाकिस्तान की एम्बेसी पर फायरिंग की गई थी। इसमें एक पाकिस्तानी डिप्लोमैट घायल हो गया था।
अगस्त 2022 में एक मस्जिद में धमाका हुआ था। इसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी। काबुल के खैरखाना इलाके में अबूबकिर सेदिक मस्जिद में नमाज के दौरान यह धमाका हुआ था। ब्लास्ट में मस्जिद के मौलवी आमिर मोहम्मद काबुली की भी मौत हो गई थी।
भारतीय दूतावास भी निशाने पर रहे हैं
अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास भी निशाने पर रहे हैं। अगस्त 2013 में जलालाबाद में दूतावास पर हमले करने वाले तीन आत्मघाती हमलावरों को मार गिराया था। इसमें कुछ अफगानी सेना के जवान भी मारे गए थे। अफगानिस्तान में भारतीय राजदूत अमर सिन्हा ने उस दौरान मारे गए लोगों और घायल लोगों से खुद मिलकर सुरक्षा देने के लिए धन्यवाद दिया था।
इतना ही नहीं उनकी सभी मेडिकल जरूरतों का खर्च भी भारतीय दूतावास ने उठाया था। 2010 में काबुल स्थित दो गेस्ट हाउस में हमले में छह भारतीयों की मौत हो गई थी।