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Russia ​S-500 Missile System: अंतरिक्ष से कर सकेगा दुश्मनों पर वार, S-400 से कई कदम आगे

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रूस ने आधुनिक युद्ध तकनीक के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए S-500 ‘Prometey’ या ‘Samoderzhets’ वायु रक्षा प्रणाली को विकसित किया है। यह प्रणाली रूस की अब तक की सबसे उन्नत और बहुस्तरीय वायु रक्षा तकनीकों में से एक मानी जा रही है।

मॉस्को: रूस ने सैन्य तकनीक के क्षेत्र में एक और क्रांतिकारी कदम बढ़ाते हुए S-500 Prometey मिसाइल रक्षा प्रणाली को तैयार किया है। यह सिस्टम अब तक की सबसे उन्नत हवाई और अंतरिक्ष रक्षा तकनीक के तौर पर देखा जा रहा है। S-400 की विश्वसनीयता को पीछे छोड़ते हुए S-500 न केवल हाइपरसोनिक और बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने में सक्षम है, बल्कि कम पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में मौजूद उपग्रहों को भी निशाना बना सकता है।

क्या है S-500 की असाधारण शक्ति?

1. हाइपरसोनिक खतरे पर लगाम

S-500 को खासतौर पर ऐसे लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो पारंपरिक मिसाइल डिफेंस को चकमा दे सकते हैं, जैसे हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स। यह एक साथ 10 हाइपरसोनिक लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है और नष्ट भी कर सकता है।

2. स्पेस-एज डिटेक्शन

S-500 की ट्रैकिंग क्षमता लगभग 2000 किलोमीटर तक फैली हुई है, और यह 200 किलोमीटर की ऊंचाई तक लक्ष्यों को इंटरसेप्ट कर सकता है, यानी यह वायु रक्षा से आगे बढ़कर स्पेस डिफेंस की दिशा में कदम है।

3. रडार की आंखें और मस्तिष्क

Active Electronically Scanned Array (AESA) तकनीक से लैस रडार सिस्टम, न सिर्फ सटीक लक्ष्य पहचान करता है बल्कि बेहद तेज प्रतिक्रिया भी देता है, जो आधुनिक युद्ध की आवश्यकता है।

4. मल्टी-लेयर प्रोटेक्शन

S-500 बहु-स्तरीय सुरक्षा देता है – यानी यह धरती से लेकर लगभग अंतरिक्ष तक हर स्तर पर आने वाले खतरों का जवाब दे सकता है।

S-500 बनाम S-400: कौन कितना दमदार?

विशेषता                         S-400              S-500
अधिकतम ट्रैकिंग रेंज       600 किमी         2000 किमी
इंटरसेप्शन ऊंचाई           30 किमी तक     200 किमी तक
हाइपरसोनिक टारगेट्स   सीमित क्षमता      पूर्ण सक्षम
स्पेस डिफेंस क्षमता          नहीं                     है
लॉन्च प्रतिक्रिया समय       तेज                  और भी तेज

भारत के लिए क्या मायने रखता है S-500?

जहां भारत पहले ही S-400 ट्रायम्फ प्रणाली को अपनी वायुसेना में शामिल कर चुका है, वहीं भविष्य में S-500 की संभावनाएं भी मजबूत होती दिख रही हैं। भारत के लिए चीन और पाकिस्तान जैसे परमाणु संपन्न पड़ोसियों के चलते यह प्रणाली एक रणनीतिक गारंटी बन सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि भारत भविष्य में S-500 को हासिल करता है, तो उसकी स्पेस-सिक्योरिटी कैपेबिलिटी और बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस में जबरदस्त उछाल आएगा।

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