राजधानी पटना से सनसनीखेज मामला सामने आया है अस्पतालों में बिना डिग्री के डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहें हैं।
Patna News: राजधानी के दानापुर अनुमंडल अस्पताल से बीते शुक्रवार को आशा कार्यकर्ता एक प्रसूता को गुमराह कर नजदीक में खुले एक बिना डिग्री वाले डॉक्टर के अस्पताल ले जाती है। वहां बिना डिग्री वाले डॉ. ने सामान्य प्रसव करने के बजाय सिजेरियन कर देता है। उसके बाद प्रसूता की हालत अधिक बिगड़ जाती है तो उसे मैनपुर स्थित अस्पातल में रेफर किया जाता है। लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो जाती है। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर अस्पताल पहुंचती है। पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारी ने टीम के साथ क्लिनिक को सील कर संचालक व नर्स को गिरफ्तार किया।
बिना डिग्री डॉक्टर के कर रहे हैं इलाज
subkuz.com टीम को मिली मिडिया रिपोर्ट के अनुसार बता दें कि यह पहला अस्पताल नहीं हैं जहां फर्जी से मरीजों के इलाज हो रहें हैं। ऐसे 100 से अधिक क्लिनिक-अस्पताल हैं, जो प्रखंडों से लेकर राजधानी के बीचोबीच आ रहे बाईपास, फुलवारीशरीफ, दानापुर और पटनासिटी इलाके आदि में संचालित किए गए है। दरअसल, लोगों का कहना है कि जब भी आमजन की जान खतरे में पड़ती है, तो सिविल सर्जन कार्यालय और जिला प्रशासन चुपी साधे रहते हैं। सिविल अधिकारीयों ने यह भी नहीं जांचा कि कौनसी आशा कार्यकर्ता ने अनुमंडल अस्पताल से नर्स, डॉक्टर और अन्य अस्पताल कर्मचारियों की मौजूदगी में मरीज को निजी क्लिनिक पहुंचाया था।
फर्जी इलाज से कई मरीजों की गई जान
अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक, बिना डिग्री के डॉक्टरों के हाथों कई मरीजों की जानें जा रही हैं।बता दें कि 2022 में बुद्धा कॉलोनी के एक बच्चे ने फांसी लगा ली थी, जब बच्चे को इलाज के लिए डॉक्टर के पास लेकर पहुंचे तो उसने सूई लगाई जिसके बाद उस बच्चे की मौत हो गई। इसके अलावा, गांधी मैदान में भी इसी प्रकार दो बच्चों की फर्जी इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
बताया गया कि इसी प्रकार फुलवारीशरीफ में एक झोलाछाप के दंत क्लीनिक में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां डॉक्टर द्वारा दांत निकालने की कोशिश में मरीज की मौके पर ही मौत हो गई। इनके साथ ही ऐसे कई मामले सामने आए हैं जैसे महिलाओं की सर्जरी करते हुए पकड़ा गया और महिला बचेदानी बंद कराने के लिए गई थी, तो डॉक्टर ने महिला की किडनी निकालने का केस सामने आया था।
मामले में सिविल सर्जन ने कहा
इन मामलों के मद्देनजर पटना सिविल सर्जन डॉ. मिथिलेश्वर कुमार ने subkuz.com टीम को बताया कि ''दानापुर मामले की पुलिस जांच कर रही है, जांच के दौरान जो दोषी होंगे उन्हें सजा मिलेगी। बिना डिग्री के क्लीनिक या अस्पताल चलाने वालों पर कार्रवाई के अभी आदेश नहीं मिले हैं। मिलने के बाद जांच कर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।''
लगभग ढाई लाख लोग फर्जी डॉक्टर
बता दें कि प्रदेश में डॉक्टरों की कमी होने के कारण लगभग ढाई लाख लोग बिना डिग्री के डॉक्टरी कर रहे हैं। इस समस्या का हल करने के लिए 2019 में सरकार ने 20 हजार झोला छाप डॉक्टरों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान से एक वर्ष का कम्युनिटी हेल्थ सर्टिफिकेट कोर्स करा प्रमाणपत्र दिलाया था।
इन्हें गांवों में चिकित्सक का दर्जा देकर नियुक्त किया गया था। जिन्हें प्राथमिक व सामान्य रोगों का ही उपचार करने की शर्त थी। लेकिन, अब वे बिना आदेश के सर्जरी भी कर रहे हैं पर अधिकारी बिना निर्देश के इन पर कार्रवाई करने से हिचकते हैं।