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बीजेपी स्थापना दिवस: 15 राज्यों में बीजेपी, 21 में एनडीए की सरकार, विपक्ष नहीं तोड़ पाया भगवा किला

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आज अपना स्थापना दिवस मना रही है और देश की सियासी तस्वीर में उसका वर्चस्व साफ झलक रहा है। भले ही 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की सीटें घटी हों, लेकिन विधानसभा चुनावों में मिली शानदार जीतों ने एक बार फिर दिखा दिया है कि बीजेपी अभी भी भारत की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक शक्ति बनी हुई है। 

BJP Foundation Day: भारतीय जनता पार्टी आज अपना स्थापना दिवस बड़े ही उत्साह और गौरव के साथ मना रही है। वर्ष 1980 में अस्तित्व में आई यह पार्टी, आज भारतीय राजनीति की सबसे बड़ी और सबसे प्रभावशाली ताकत बन चुकी है। देशभर में भाजपा के कार्यकर्ताओं और समर्थकों में इस अवसर पर खास जोश देखने को मिल रहा है। आज भाजपा 15 राज्यों में अकेले सरकार चला रही है, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नेतृत्व में यह संख्या 21 राज्यों तक पहुंच चुकी है।

1980 से अब तक: एक मजबूत राजनीतिक विरासत

1980 में स्थापित बीजेपी ने एक मामूली राजनीतिक दल से देश की सबसे बड़ी पार्टी बनने तक का लंबा सफर तय किया है। इसकी सफलता के पीछे मजबूत संगठन, रणनीतिक नेतृत्व और विपक्ष की एकजुटता की कमी को भुनाने की रणनीति रही है। बीजेपी की चुनावी फतह यह साबित करती है कि इसका जनाधार अब भी बहुत मजबूत है।

विधानसभा चुनावों में बीजेपी की धमाकेदार वापसी

2024 के लोकसभा चुनाव में 240 सीटों पर सिमटने के बावजूद बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में जोरदार वापसी की। हरियाणा और महाराष्ट्र में उसकी अप्रत्याशित जीत ने सभी को चौंका दिया। हरियाणा में पार्टी ने तीसरी बार सत्ता में वापसी की, जबकि महाराष्ट्र में एनडीए के साथ मिलकर मजबूत बहुमत हासिल किया।

सबसे बड़ा झटका विपक्ष को दिल्ली में लगा, जहां फरवरी 2025 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 27 साल बाद जीत दर्ज की। 70 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी ने 48 सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्त दी। यह जीत इसलिए भी खास रही क्योंकि दिल्ली में लोकसभा में भले ही बीजेपी का दबदबा रहा हो, लेकिन विधानसभा में वह लगातार पिछड़ती रही थी।

बीजेपी की सफलता के प्रमुख कारण

मजबूत संगठनात्मक ढांचा और ज़मीनी स्तर पर पकड़
आक्रामक चुनाव प्रचार और प्रभावी संदेश
विपक्ष की आपसी फूट और रणनीतिक चूक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपार लोकप्रियता

लोकसभा चुनावों में सीटें कम होने को विपक्ष ने कमजोरी माना था, लेकिन विधानसभा चुनावों के नतीजों ने साबित कर दिया कि बीजेपी की पकड़ अभी भी बेहद मज़बूत है।

विपक्ष अब भी नहीं बन पाया बीजेपी के लिए चुनौती

विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया (I.N.D.I.A.) ने भले ही लोकसभा चुनावों में कुछ हद तक एकजुटता दिखाई, लेकिन विधानसभा चुनावों में यह एकजुटता टूट गई। हरियाणा में कांग्रेस अकेले लड़ी और हार गई। महाराष्ट्र में गठबंधन होने के बावजूद एनडीए ने जीत दर्ज की। दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच तालमेल न बनना बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हुआ।

बीजेपी की एक बड़ी ताकत उसके सहयोगी दलों के साथ मजबूत तालमेल है। हाल ही में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 का संसद में पारित होना इसका बड़ा उदाहरण है। तमाम अटकलों के बावजूद यह बिल लोकसभा में 288 और राज्यसभा में 128 मतों से पास हुआ। जेडीयू, टीडीपी और अन्य सहयोगी दलों ने बीजेपी का खुलकर समर्थन किया और विपक्ष के आरोपों को गलत साबित कर दिया।

भविष्य की रणनीति और अगला लक्ष्य – बिहार चुनाव

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी की सफलता की कुंजी उसकी आक्रामक रणनीति, प्रभावी नेतृत्व और विपक्ष की बिखरी हुई स्थिति है। पार्टी हर चुनाव को गंभीरता से लेती है और ज़मीनी स्तर पर अपने नेटवर्क को सक्रिय बनाए रखती है। आने वाले बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी-एनडीए पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है।

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