भारतीय थल सेना: रक्षा मंत्रालय ने 54,000 करोड़ रुपये के रक्षा सौदों को दी हरी झंडी

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भारतीय रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने 54,000 करोड़ रुपये से अधिक के रक्षा सौदों को मंजूरी दे दी हैं। 

नई दिल्ली: भारतीय रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने 54,000 करोड़ रुपये से अधिक के रक्षा सौदों को मंजूरी दे दी है। इस फैसले के तहत भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना को आधुनिकतम हथियारों और उपकरणों से लैस किया जाएगा। इनमें ब्रह्मोस मिसाइल, एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) सिस्टम, उन्नत इंजन वाले टी-90 टैंक और नौसेना के लिए अत्याधुनिक टॉरपीडो शामिल हैं।

थल सेना को मिलेगा नया शक्ति-संवर्धन

भारतीय थल सेना की युद्धक क्षमताओं को और अधिक धारदार बनाने के लिए टी-90 टैंकों के इंजन को अपग्रेड किया जाएगा। मौजूदा 1,000 हॉर्सपावर (एचपी) इंजन की जगह अब 1,350 एचपी इंजन लगाए जाएंगे, जिससे ये टैंक विशेष रूप से ऊंचाई वाले इलाकों में बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे। यह अपग्रेड भारत के उत्तरी और पूर्वी सीमाओं पर सैन्य तैयारियों को और मजबूत करेगा।

नौसेना की बढ़ेगी पनडुब्बी रोधी ताकत

भारतीय नौसेना को मजबूत करने के लिए स्वदेशी वरुणास्त्र टॉरपीडो की खरीद को स्वीकृति दी गई है। यह अत्याधुनिक पनडुब्बी रोधी टॉरपीडो भारतीय युद्धपोतों की मारक क्षमता को बढ़ाएगा और दुश्मन की पनडुब्बियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस टॉरपीडो को नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला (NSTL) द्वारा विकसित किया गया है, जो भारतीय आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देगा।

वायुसेना को मिलेगा एडवांस AEW&C सिस्टम

भारतीय वायुसेना की निगरानी और प्रतिक्रिया क्षमता को नई ऊंचाई देने के लिए छह ‘नेत्र’ AEW&C विमानों की खरीद को मंजूरी दी गई है। ये विमान युद्ध क्षेत्र में शुरुआती चेतावनी देने और ऑपरेशनल कमांड को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने में सक्षम होंगे। इससे भारत की हवाई सुरक्षा प्रणाली पहले से कहीं अधिक प्रभावी होगी।

रक्षा खरीद प्रक्रिया में होगा सुधार

रक्षा मंत्रालय ने हथियारों की खरीद प्रक्रिया को तेज और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए नए दिशानिर्देशों को भी स्वीकृति दी है। यह कदम 2025 को 'सुधारों का वर्ष' के रूप में मनाने की योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पूंजी अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाना है। इस फैसले से भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को भी मजबूती मिलेगी। ब्रह्मोस मिसाइलों और वरुणास्त्र टॉरपीडो जैसे स्वदेशी हथियार प्रणालियों की खरीद से देश की रक्षा उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और भारतीय रक्षा उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी।

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