Crew of Nasa Earthbond: मंगल ग्रह पर 12 महीने बिताकर बाहर निकले यात्री, किए कई प्रयोग और शोध, जानिए मंगल ग्रह यात्रा की कहानी

Crew of Nasa Earthbond: मंगल ग्रह पर 12 महीने बिताकर बाहर निकले यात्री, किए कई प्रयोग और शोध, जानिए मंगल ग्रह यात्रा की कहानी
Last Updated: 30 नवंबर -0001

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मार्स मिशन के अभियान दल ने पुरे एक साल के लंबे सफर के बाद अपने यान से बाहर कदम रखा हैं. हालांकि इस यान ने कभी पृथ्वी की परिधि को पार नहीं किया हैं।

इंडिया: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की ओर से मार्स मिशन के अभियान दल में शामिल चार सदस्यों ने ह्यूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर में सिम्युलेटेड मार्स एनवायरमेंट में तकरीबन 12 महीने से भी अधिक समय बिताया हैं. जानकारी के मुताबिक दल में शामिल सभी यात्रियों ने शनिवार शाम 5:10 बजे के करीब मंगल ग्रह के कृत्रिम वातावरण से बाहर कदम रखा हैं।

बता दें इस मंगल यात्रा पर केली हेस्टन, आंका सेलारियू, रॉस ब्रॉकवेल और नेथन जोन्स ने 25 जून 2023 को नासा के क्रू हेल्थ एंड परफॉर्मेंस एक्सप्लोरेशन एनालॉग (सीएचएपीईए) प्रोजेक्ट के पहले क्रू के रूप में 3डी-प्रिंटेड द्वारा तैयार किया गया घर में एंटर हुए थे. अधिकारी ने बताया कि हेस्टन को इस मिशन का कमांडर बनाया गया था। शनिवार को इस मिशन से बाहर आने के बाद उन्होंने सरल से शब्द "हैलो" के साथ अपनी बात की शुरुआत की. उन्होंने कहां कि आप सभी से एक साल के बाद 'हैलो' कहना वाकई में मुझे बहुत अच्छा लग रहा हैं।

सौर मंडल का चौथा ग्रह मंगल बहुत रोमांचित

बताया गया हैं कि इस मंगल मिशन पर जाने वाले चार सदस्य में से नेथन जोन्स एक डॉक्टर और इस मिशन के मेडिकल ऑफिसर थे. उन्होंने बाहर आने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहां कि इस साल से अधिक (378 दिन) यह कैद का समय काफी जल्दी बीत गया। इस दल में शामिल चारों लोगों ने 1,700 वर्ग फीट (157 वर्ग मीटर) के क्षेत्र में मिलकर काम किया था, ताकि लाल ग्रह और मंगल के मिशन का अच्छा अनुभव हासिल कर सके. जानकारी के मुताबिक विज्ञान जगत को सौर मंडल का चौथा ग्रह मंगल बहुत ज्यादा रोमांचित करता हैं. इसलिए दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां मंगल पर पहुंचने की बहुत कोशिश कर रही हैं. बता दें कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मंगल पर अपने कई मानवरहित यान भेज चुकी हैं।

मिशन के दौरान किये कई प्रयोग और शोध

सीएचएपीईए अभियान दल ने मिशन के दौरान भविष्य में मंगल पर जाने के संभावित हालात को स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया हैं। इसमें सिम्युलेटेड स्पेसवॉक (मार्सवॉक कहा जाता हैं) शामिल हुई थी. वहां पर वे सभी सब्जियों को उगाने और उगी फसल काटने का काम भी करते थे ताकि अपने खाने की पूर्ति कर सकें और आवास तथा उपकरणों को बनाए रख सकें। उन्होंने वहां पर सीमित संसाधन, अलगाव और पृथ्वी से वार्तालाप में 22 मिनट की देरी जैसी समस्या का भी सामना किया।

अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहां कि ये सभी प्रकार की चुनौतियां उन्हें इस कृत्रिम घर की दीवारों के दूसरी तरफ आभास हुईं थी. नासा ने कहां आने वाले समय में ऐसे ही दो और अभियानों की योजना बनाकर अभियानों में सिम्युलेटेड स्पेसवॉक जारी रखी जाएगी। इसके अलावा शारीरिक और व्यवहारिक स्वास्थ्य तथा प्रदर्शन से संबंधित डेटा को एकत्रित किया जाएगा। जॉनसन स्पेस सेंटर के डिप्टी डायरेक्टर स्टीव कोएर्नर ने कहां दल के द्वारा अधिकतर प्रयोग खाने-पीने से संबंधित चीजों पर केंद्रित थे और यह भी देखा गया कि वहां पर हम लोग कितना प्रभावित होते हैं।

अभियान दल के सदस्यों ने सांझा किया अनुभव

जॉनसन स्पेस सेंटर के फ्लाइट ऑपरेशंस के डिप्टी डायरेक्टर और एक अंतरिक्ष यात्री क्येल लिंडग्रेन ने घर के दरवाजे से बाहर कदम रखने के बाद सभी आभार व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने मंगल मिशन और पृथ्वी पर मानव जीवन के बारे में सीखे गए सबक को सभी के साथ साझा किया। ब्रॉकवेल को इस अभियान का फ्लाइट इंजीनियर बनाया गया था. उन्होंने कहां कि इस मिशन से हमें अनुभव हुआ कि पृथ्वी पर हमें सबके भले की कोशिश करते हुए जीवन यापन करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मैं बहुत खुश हूं कि मुझे इस अद्वितीय अनुभव का हिस्सा बनने का सुनहरा मौका मिला था. मैंने इस एक साल को साहसिक भावना के साथ जिया हैं और मैंने यह सीखा कि हमें संसाधनों का उपयोग वैसे ही करना चाहिए जितनी तेजी से वे दोबारा उत्पन्न होते हैं. तथा हमें कचरा उतनी तेजी से फैलाना चाहिए जिससे उसे वापस संसाधनों में बदला जा सकें।

साइंस ऑफिसर आंका सेलारियू ने अपने अनुभव के आधार पर कहां कि उनसे कई बार पूछा गया था कि मंगल पर आपका इतना ध्यान क्यों है? "मंगल पर क्यों जाना चाहिए"?  इस बात का जवाब देते हुए उन्होने कहां कि यह संभव है और अंतरिक्ष हमें एकजुट कर सकता है तथा हमारे सर्वश्रेष्ठ को उभार कर सबके सामने लाता है. यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे 'पृथ्वीवासी' को अगली सदियों में दूसरे ग्रह का रास्ता दिखाने में काफी सहायता मिलेगी।

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