"एक राष्ट्र, एक चुनाव" पर कानूनी टकराव, साल्वे ने किया समर्थन, एपी शाह ने उठाए सवाल

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देश में "एक राष्ट्र, एक चुनाव" को लेकर कानूनी विशेषज्ञों के बीच गहरी बहस छिड़ी हुई है। संसद की एक समिति के समक्ष सोमवार को वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एपी शाह ने इस विवादित मुद्दे पर अपनी-अपनी राय रखी। 

नई दिल्ली: देश में "एक राष्ट्र, एक चुनाव" को लेकर विवाद जारी है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने इसका समर्थन करते हुए इसे संविधान के अनुरूप बताया, जबकि दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एपी शाह ने इस विधेयक को कानूनी चुनौतियों से घिरा बताया। दोनों दिग्गज विधि विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर संसद की समिति के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत किए। 

हरीश साल्वे: "संविधान के दायरे में है विधेयक"

हरीश साल्वे ने समिति के समक्ष जोर देकर कहा कि प्रस्तावित कानून संविधान की बुनियादी संरचना का उल्लंघन नहीं करता। उन्होंने कहा कि यह विधेयक देश में स्थिरता और चुनावी खर्च में कटौती सुनिश्चित करेगा। उनके मुताबिक, "एक राष्ट्र, एक चुनाव" से लोकतंत्र मजबूत होगा और मतदाताओं के अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

एपी शाह: "संघीय ढांचे को कमजोर करता है विधेयक"

वहीं, पूर्व मुख्य न्यायाधीश एपी शाह ने इस विधेयक पर गंभीर आपत्तियां जताईं। उन्होंने तर्क दिया कि राज्य विधानसभाओं के चुनाव स्थगित करने की शक्ति निर्वाचन आयोग को देना संविधान के संघीय ढांचे और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है। शाह ने आशंका जताई कि यह कानून केंद्र को राज्यों पर अनुचित नियंत्रण देने का मार्ग प्रशस्त कर सकता हैं।

5 घंटे तक चली कानूनी जंग

करीब पांच घंटे चली इस गहन बहस में समिति के सदस्यों ने दोनों विशेषज्ञों से अलग-अलग सवाल पूछे। सूत्रों के मुताबिक, हरीश साल्वे ने लगभग तीन घंटे तक अपनी दलीलें रखीं, जबकि एपी शाह का सत्र दो घंटे में समाप्त हुआ। बैठक की अध्यक्षता कर रहे भाजपा सांसद पीपी चौधरी ने इसे "सकारात्मक चर्चा" करार दिया।

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