उत्तर प्रदेश: ग्रेटर नोएडा में भूमि घोटाले का पर्दाफाश, प्राधिकरण अधिकारीयों ने बनवा दी अवैध कॉलोनी; बदले में लिए करोड़ों रूपये

उत्तर प्रदेश: ग्रेटर नोएडा में भूमि घोटाले का पर्दाफाश, प्राधिकरण अधिकारीयों ने बनवा दी अवैध कॉलोनी; बदले में लिए करोड़ों रूपये
Last Updated: 23 मार्च 2024

सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरणों को भ्रष्टाचार का अड्डा कहा है क्योकि नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों में घोटाले के कई मामले सामने आ गए है. बताया कि ग्रेटर नोएडा में प्रदेश के सबसे बड़े भूमि घोटाले का खुलाशा हुआ है. प्राधिकरण अधिकारियों ने 2016 से लेकर 2023 के मध्य कालोनाइजरों के साथ मिलकर बिसरख, जलपुरा और हैबतपुर गांव में तीन लाख वर्ग मीटर जमीन पर अवैध कॉलोनी बनवा दी हैं

बाजार में जमीन की कीमत करोड़ों में 

Subkuz.com के पत्रकार को प्राप्त जानकारी के अनुसार बाजार में जमीन की कीमत 2000 करोड़ रुपये से अधिक है. सूत्रों के अनुसार जमीन बिकवाने के बदले में प्राधिकरण अधिकारियों को 100 करोड़ रुपये मिलें है. बिसरख गांव के खसरा नंबर 773 का अधिग्रहण 2010 में हो गया था और इसकी बंदरबांट निचले स्तर से लेकर ऊपर तक हुई हैं।

जानकारी के अनुसार बिसरख गांव की 51 हजार वर्ग मीटर जमीन को खरीदने के लिए 15 बिल्डर, तीन अस्पताल संचालक और पांच अन्य संस्थाओं ने कई बार प्राधिकरण में आवेदन किया, लेकिन प्राधिकरण अधिकारियों ने उन्हें जमीन नहीं दी। उन्होंने जमीन पर विला और अवैध कालोनी बसा दी है. इस जमीन को प्राधिकरण ने जलपुरा गांव में 300 करोड़, हैबतपुर में 100 करोड़ और बिसरख गांव में 400 करोड़ रुपये में किसानों से खरीदा था।

2023 तक छोड़ रखा था जमीन को खाली

बताया कि 2010 से 2023 तक करीब 13 वर्ष के लंब समय में  प्राधिकरण अधिकारियों ने किसी भी संस्था को जमीन आवंटन नहीं की. जमीन को ऐसे ही खाली छोड़ रखा था. यह बात प्राधिकरण अधिकारियों को कटघरे में खड़ा करने के लिए काफी है. सूत्रों ने बताया कि कालोनाइजरों के साथ सांठगांठ होने के कारण किसी भी संस्था को जमीन का आवंटन नहीं किया गया। प्राधिकरण के अधिकारियों ने कालोनाइजरों को जमीन पर विला और कालोनी बसाने के लिए बहुत समय दिया था। कालोनाइजरों ने 2016 से 2023 के मध्य कई कॉलोनियां बसाई लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।

किसी भी जगह से नहीं हटाया अवैध निर्माण

जानकारी के अनुसार प्राधिकरण अधिकारियों ने भविष्य में कैश/मुकदमों से बचने के धारा-10 का नोटिस और थाने में धारा 188 और धारा 447 के तहत मामला दर्ज कराया गया। बताया की इन धाराओं में मामला दर्ज होने के बाद 24 घंटे के अंदर अवैध निर्माण को हटाकर यथास्थिति बनाने का प्रावधान है. लेकिन जिन मामलों में एफआइआर दर्ज हुई, उनमें एक भी स्थान से अवैध निर्माण को नहीं हटाया गया।

बताया कि इन धाराओं में केवल जुर्माना और तीन माह की सजा का प्रावधान है. इसलिए प्राधिकरण अधिकारियों ने एफआइआर में यह धाराएं जानबूझकर लिखवाई, ताकि भविष्य में कालोनाइजरों पर कोई कार्रवाई न हो सकें। जानकारी के अनुसार कुछ दिन पहले बिसरख के एक व्यक्ति ने पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर की और जांच के दौरान व्यक्ति द्वारा लगाए गए आरोप सहीं पाए गए हैं।

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