झुंझुनूं: यमुना नदी के जल को लेकर सूरजगढ़ में लोगों का धरना प्रदर्शन
सूरजगढ़ संघर्ष समिति झुंझुनूं के आह्वान पर ब्लॉक व ग्राम स्तर पर नहर के माध्यम से यमुना जल को शेखावाटी क्षेत्र में लाने के लिए धरना प्रदर्शन किया गया। बताया गया है कि सूरजगढ़ अनाज मण्डी में जगदेव सिंह खरड़िया और पूर्व सरपंच राजकरण भड़िया की अध्यक्षता में धरना प्रदर्शन किया। धरने में गांवों के किसानों और जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। धरने को सम्बोधित करते हुए वीर तेजाजी विकास संस्थान सूरजगढ़ के अध्यक्ष जगदेव सिंह खरड़िया ने कहा कि 'जल ही जीवन है', यमुना के जल पर हमारा हक़ है। जिले में 50 प्रतिशत कुओं का पानी सूख चुका हैं, ऐसे आने वाले समय में पीने का पानी नहीं मिलेगा। पानी की कमी के कारण खेती और व्यापार चौपट हो जाएंगे।
जानकारी के अनुसार सन 1994 में यमुना जल के संबंध में पांच राज्यों के बीच यमुना जल के बंटवारे को लेकर समझौता हुआ था। जिसमें ताजेवाले हेड (barrage) से झुंझुनूं जिले को यमुना नदी से नहर द्वारा 1917 क्यूसेक पानी मिलना चाहिए, लेकिन आज तक पानी नहीं मिला। उस समझौते में यह शर्त थी कि ''अगर 2025 तक इस पर अमल नहीं किया गया तो समझौता रद्द कर दिया जायेगा'', अब हमारे पास कुछ ही समय शेष हैं। झुंझुनूं में यमुना नदी का पानी लाने के बीच हरियाणा राज्य रोड़ा अटका रहा है।
संघर्ष समिति के अध्यक्ष के अनुसार
संघर्ष समिति के अध्यक्ष ने बताया कि यह समझौता रद्द हो जाता है तो फिर पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों को सहमत करना बड़ा मुश्किल काम होगा। अब तो केन्द्र, हरियाणा व राजस्थान में एक ही पार्टी (BJP) का शासन है। अब इस समस्या का हल नहीं हुआ तो इसके बाद कभी नहीं होगा। यह आन्दोलन हर गांव, ढाणी, शहर के लोगों तक पहुंचा कर सरकार पर दबाव बनाया जायेगा। जन प्रतिनिधियों (public representative) व भाजपा नेताओं से मिलकर सहयोग करने का प्रयास किया जायेगा।
आदर्श समाज सेवा समिति अध्यक्ष (Model Social Service Committee Chairman) धर्मपाल गांधी ने कहा कि जन जागरण के लिए एक अभियान चलाना पड़ेगा और जनता को जागरूक करना होगा की भूजल का स्तर गिरता जा रहा है। कई गांवों में कुओं का पानी बिल्कुल सूख चुका हैं। यमुना जल के बिना किसानों और हम सब का जीवन संकट में आ जायेगा। कार्यक्रम का संचालन पप्पू चौधरी ने किया। मौके पर पूर्व सरपंच बलबीर राव, लोटिया सरपंच महावीर सिंघल, फूलाराम जांगिड़, जयपाल सिंह, रतनसिंह खरड़िया, महेश कुमार, मुकेश कुमार स्वामी, धर्मपाल गांधी, राजेन्द्र फौजी, प्रताप सैन, जयसिंह भाम्बू, शिक्षाविद राजपाल फोगाट, मोतीलाल डिग्रवाल,सुमित कुमार सहित अन्य लोग भी धरने में शामिल थे।