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Lal Krishna Advani: 14 दिन बाद स्वास्थ्य में सुधार, लालकृष्ण आडवाणी को मिली अस्पताल से छुट्टी

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लालकृष्ण आडवाणी को 14 दिन बाद अपोलो अस्पताल से छुट्टी मिल गई। 12 दिसंबर को स्वास्थ्य बिगड़ने पर उन्हें भर्ती कराया गया था। उनका इलाज डॉ. विनीत सूरी की निगरानी में किया गया, और अब वे स्वस्थ हैं।

Lal Krishna Advani Health Update: भारतीय जनता पार्टी (भा.जा.पा.) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को 12 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती होने के 14 दिन बाद अपोलो अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। उनका इलाज वयोवृद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. विनीत सूरी की देखरेख में किया जा रहा था। अस्पताल ने उनके स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार की पुष्टि की है, जिसके बाद उन्हें डिस्चार्ज किया गया।

अस्पताल में भर्ती होने की जानकारी

लालकृष्ण आडवाणी को 12 दिसंबर को स्वास्थ्य बिगड़ने पर दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। अस्पताल ने एक बयान जारी करते हुए कहा था, "आडवाणी की मेडिकल कंडीशन में सुधार हो रहा है और वह डॉ. विनीत सूरी की निगरानी में हैं।" अस्पताल में बिताए गए इन 14 दिनों में उनकी तबीयत में धीरे-धीरे सुधार दिखने पर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।

पहले भी अस्पताल में हुए थे भर्ती

लालकृष्ण आडवाणी को पहले भी अस्पताल में भर्ती किया जा चुका है। इस साल अगस्त महीने में भी उन्हें अपोलो अस्पताल में भर्ती किया गया था। उस समय भी उन्हें न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. विनीत सूरी के निगरानी में रखा गया था और स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था। इसके पहले 26 जून को उन्हें दिल्ली एम्स के यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में भर्ती किया गया था, जहां उनका इलाज डॉ. अमलेश सेठ की देखरेख में हुआ था। अगले दिन उन्हें एम्स से छुट्टी मिल गई थी।

राष्ट्रपति से भारत रत्न सम्मान

लालकृष्ण आडवाणी को 30 मार्च 2024 को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रदान किया गया। आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था। इस वर्ष, 8 नवंबर को उन्होंने अपना 98वां जन्मदिन मनाया था।

आरएसएस से जुड़ाव

आडवाणी 1942 में आरएसएस से जुड़ गए थे और उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। वह भारतीय जनता पार्टी (भा.जा.पा.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में 1986 से 1990, 1993 से 1998 और 2004 से 2005 तक कार्यरत रहे। उनका योगदान भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण रहा है, और वे भाजपा के प्रमुख नेताओं में गिने जाते हैं।

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