आज पहली बार संभल में भगवान शिव के मंदिर में पूजा हुई। यह मंदिर 1978 से बंद था, जिसके बाद अन्य समुदायों ने अवैध रूप से इस मंदिर की जमीन पर कब्जा कर लिया था। चलिए इस मंदिर के इतिहास के बारे में बताते हैं।
Sambhal Mandir History: संभल में भगवान शिव का एक ऐतिहासिक मंदिर, जो 1978 से बंद पड़ा था, अब पुनः मिल गया है। यह मंदिर बिजली चोरी की चेकिंग के दौरान प्रशासन के सामने आया, और पास में एक कुआं भी मिला। मंदिर पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए पुलिस ने बुलडोजर कार्रवाई की और इसे आजाद कराया। इस मंदिर में शिवलिंग, भगवान हनुमान और नंदी की मूर्तियाँ भी हैं। यह खबर जैसे ही आग की तरह फैल गई, मंदिर के आसपास लोगों की उत्सुकता बढ़ गई। आज रविवार की सुबह मंदिर को खोला गया और वहां पूजा-अर्चना की गई।
संभल में मंदिर की पुरानी कहानी
संभल के इस मंदिर का इतिहास 1978 से जुड़ा है। उस समय की सांप्रदायिक हिंसा के कारण हिंदू परिवारों ने पलायन किया और इस मंदिर को बंद कर दिया गया। 1976 और 1978 में यहां दो बड़े दंगे हुए थे, जिससे हिंदू समाज बुरी तरह प्रभावित हुआ। इस हिंसा में जामा मस्जिद के मौलाना की हत्या और उसके बाद हिंसात्मक घटनाएं प्रमुख कारण बनी थीं। इसके परिणामस्वरूप हिंदू समुदाय के अधिकांश लोग पलायन कर गए, और मंदिर को अंदर कर दिया गया। मंदिर का ताला लग गया और अब 46 साल बाद इसे फिर से खोला गया है।
1978 में मंदिर का बंद होना
1976 और 1978 में संभल में सांप्रदायिक हिंसा ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। 1976 में जामा मस्जिद के इमाम की हत्या के बाद हिंसा भड़क गई थी। मौलाना की हत्या के कारण हिंसात्मक घटनाएं बढ़ी, और उसके बाद मंदिर पर अवैध कब्जा किया गया। इसके बाद हिंदू परिवारों ने पलायन किया और मंदिर को बंद कर दिया गया। मंदिर को फिर कभी नहीं खोला गया। अब, 46 साल बाद, जब प्रशासन बिजली चोरी की जांच कर रहा था, तब यह मंदिर पुनः मिला और मंदिर पर कब्जा हटाने के लिए पुलिस ने बुलडोजर कार्रवाई की।
संभल में सांप्रदायिक हिंसा
संभल में स्वतंत्रता के बाद से 14 बार सांप्रदायिक हिंसा हुई है। इनमें प्रमुख हिंसक घटनाएं 1956, 1959, और 1966 में हुई थीं, जिनके बाद स्थिति इतनी विकट नहीं थी। हालांकि, 1976 और 1978 में दो बड़े दंगे हुए, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई। इसके बाद फिर से हिंसा भड़की और इस हिंसा ने मंदिर की स्थिति को और भी जटिल बना दिया। दंगों की वजह से हिंदू समाज के लोग पलायन करने लगे और मंदिर को ताले में बंद कर दिया गया। 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान भी संभल में हिंसक घटनाएं हुईं। अब मंदिर के पुनः मिल जाने से स्थानीय लोगों के बीच खुशी की लहर है और इसे संभालने की कोशिश की जा रही है।
मंदिर की कहानी
गुप्ता बताते हैं कि 1978 के बाद मंदिर कभी नहीं खुला। उस समय सांप्रदायिक हिंसा के कारण यहां हिंदू समुदाय के लोगों ने पलायन किया और मंदिर को बंद कर दिया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पहले बड़ी संख्या में हिंदू परिवार रहते थे, लेकिन हिंसा के कारण उन्हें पलायन करना पड़ा। 1976 और 1978 में भड़की हिंसा ने स्थिति को और खराब कर दिया। अब, इस मंदिर का पुनः मिलना एक सकारात्मक संकेत है और यह हिंदू समुदाय के लिए एक श्रद्धा स्थल के रूप में काम करेगा। अब सवाल उठता है कि मंदिर इतने दिनों से गायब कहां था और किसने इसे कब्जे में लिया था।