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स्टालिन का BJP-AIADMK पर तीखा वार, कहा- 'आदर्शों की नहीं, अवसरवाद की दोस्ती है यह गठबंधन'

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तमिलनाडु की राजनीति में हलचल मचाते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चेन्नई में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और अन्नाद्रमुक (AIADMK) के बीच एक बार फिर गठबंधन का औपचारिक ऐलान किया। 

BJP-AIADMK Alliance: तमिलनाडु में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस कड़ी में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) के बीच एक बार फिर गठबंधन हो गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चेन्नई पहुंचकर एआईएडीएमके की एनडीए में वापसी की औपचारिक घोषणा की। उन्होंने कहा कि बीजेपी और एआईएडीएमके का संबंध वर्षों पुराना है और दोनों दल राज्य में मजबूत विकल्प पेश करेंगे। 

हालांकि, इस नए राजनीतिक समीकरण पर डीएमके और मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने तीखा हमला बोला है। डीएमके की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एआईएडीएमके और बीजेपी का यह गठबंधन एक "हार का गठबंधन" है, जिसे तमिलनाडु की जनता ने कई बार खारिज किया है। 

'तमिल हितों के खिलाफ है यह गठबंधन' - डीएमके

डीएमके की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह गठबंधन केवल राजनीतिक स्वार्थ का मेल है, जिसमें तमिलनाडु के हितों की कोई झलक नहीं है। बयान में सवाल किया गया, क्या AIADMK अब उस NEET परीक्षा का समर्थन करेगी, जिसका वह वर्षों से विरोध करती आई है? क्या हिंदी थोपने और तीन-भाषा नीति पर भी अब वो बीजेपी के साथ सहमत हो गई है?

स्टालिन ने आरोप लगाया कि इस गठबंधन का कोई वैचारिक आधार नहीं है, और यह केवल सत्ता की भूख से प्रेरित है। उन्होंने यह भी कहा कि यह "तमिल अस्मिता" के खिलाफ है और तमिलनाडु की जनता इस अवसरवादी राजनीति को स्वीकार नहीं करेगी।

कॉमन मिनिमम प्रोग्राम या कॉमन मिनिमम समझौता?

अमित शाह ने अपने संबोधन में दावा किया कि दोनों दल एक "कॉमन मिनिमम प्रोग्राम" के तहत साथ आए हैं, लेकिन डीएमके ने पलटवार करते हुए पूछा कि क्या इसमें तमिलनाडु से जुड़ी असली चिंताएं शामिल हैं? स्टालिन ने कहा, 'AIADMK ने कभी तीन-भाषा नीति, वक्फ अधिनियम संशोधन और हिंदी थोपने का विरोध किया है। क्या अब वह इन मुद्दों पर चुप्पी साध लेगी?' उन्होंने AIADMK को चुनौती दी कि वह अपना रुख स्पष्ट करे।

‘जयललिता की विरासत के नाम पर भ्रम फैलाना’- स्टालिन

स्टालिन ने यह भी कहा कि बीजेपी जयललिता की विरासत को राजनीतिक रूप से भुनाना चाहती है, जबकि उनकी विचारधारा बीजेपी से बिल्कुल अलग थी। जयललिता कभी संघी सोच के साथ नहीं चलीं, लेकिन आज उनकी पार्टी उन्हीं के साथ मंच साझा कर रही है, उन्होंने कहा। डीएमके ने अपने बयान में जनता से अपील की कि वह 'तमिल स्वाभिमान' और 'धोखेबाज गठबंधन' के बीच सही फैसला करे। स्टालिन ने यह विश्वास जताया कि तमिलनाडु की जनता एक बार फिर प्रगतिशील और क्षेत्रीय हितों को प्राथमिकता देगी।

BJP-AIADMK गठबंधन ने राज्य की राजनीति में एक नई ध्रुवीकरण की लकीर खींच दी है। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस गठबंधन की ज़मीन कितनी मजबूत है, और जनता इसपर क्या प्रतिक्रिया देती है।

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