Uttrakhand Trekking Accident: बर्फीली हवाएं और तूफान के बाद हर तरफ छाया अंधेरा, 22 घंटे ड्राई फ्रूट खाकर किया गुजारा; ट्रेकरों ने मीडिया को सुनाई आपबीती

Uttrakhand Trekking Accident: बर्फीली हवाएं और तूफान के बाद हर तरफ छाया अंधेरा, 22 घंटे ड्राई फ्रूट खाकर किया गुजारा; ट्रेकरों ने मीडिया को सुनाई आपबीती
Last Updated: 06 जून 2024

ट्रेकर जयप्रकाश ने आपबीती सुनते हुए बताया कि वह इससे पहले भी कई बार ट्रेकिंग के लिए उत्तराखंड आ चुके हैं। लेकिन इस बार उनके साथ जो घटना घटित हुई उसे वह कभी भुला नहीं पाएंगे। बताया कि सोमवार शाम अचानक से तेज वर्षा के बाद बर्फीली हवाएं चलने लगी और देखते ही देखते तेज तूफान आ गया। इस कारण चारों तरफ अंधेरा छा गया।

देहरादून: सहस्रताल में फंसे आठ ट्रेकर को एसडीआरएफ (राज्य प्रतिक्रिया सहायता दल) की टीम सुरक्षित देहरादून लेकर पहुंची। उस समय सभी ट्रेकरों के चेहरे पर भय साफ नजर आ रहा था। इनमें से कई ट्रेकर ऐसे भी थे, जिनका स्वास्थ्य बिगड़ गया और वह दहशत में हैं। उनकी आवाज तक गले से बहार नहीं निकल रही। बर्फीली हवा के बीच ट्रेकर के 22 घंटे इतने ज्यादा खौफनाक गुजरे कि शायद ही वह जीवनभर इसे कभी भूल नहीं पाएंगे। ट्रेकर ने ड्राई फ्रूट खाकर अपनी जान बचाई। की लोगों को तो यह यद् भी नहीं है कि ट्रेकिंग के दौरान उनके साथ आखिर क्या हुआ। एसडीआरएफ की टीम ने आठ ट्रेकर को रेस्क्यू कर देहरादून लेकर आए। सभी ट्रेकरों को देहरादून के कोरोनेशन अस्पताल में भर्ती करा गया हैं।

तूफान में फंसे ट्रेकर

Subkuz.com को प्राप्त के मुताबिक कर्नाटक के 22 ट्रेकर का दल 29 मई को हिमालयन व्यू ट्रेकिंग एजेंसी मनेरी (उत्तरकाशी) की मदद से सहस्रताल की ट्रेकिंग करने गए। उनके साथ आठ खच्चर और तीन गाइड भी गए थे। दो जून की शाम अचानक से बर्फीला तूफान आ गया। ट्रेकर ने बताया कि बर्फीले तूफान की रफ्तार तकरीबन 95 किमी प्रतिघंटा होगी। इसके बाद चारो तरफ अंधेरा छा गया। सभी एक-दूसरे से बिछड़ने लगे।

बताया कि अचानक से असहनीय ठंड पड़ने लगी। ट्रेकर जयप्रकाश वीएस ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि वह इससे पहले भी ट्रेकिंग के लिए उत्तराखंड आ चुके हैं। इस बार उनके साथ जो घटना घटित हुई, उसे शायद ही वह कभी अपनी जिंदगी में इसे भुला पाएंगे। बताया कि सोमवार शाम उनका दल सहस्रताल के लिए आगे बढ़ा था कि अचानक से तेज वर्षा और बर्फीली हवाएं चलने लगी। देखते ही देखते तूफान भी आ गया। इस कारण सभी को वहां रुकना पड़ा।

मोबाइल ने काम करना किया बंद

ट्रेकर स्मृति कुमारी प्रकाश ने मीडिया आपबीती सुनाते हुए बताया कि बर्फीले तूफान के बीच उन्हें सामने मौत नजर आ रही थी। जब उन्होंने कैंप और अन्य लोगों को संपर्क करने की कोशिश की तो मोबाइल में नेटवर्क नहीं होने से किसी को घटना के बारे में सूचना भी नहीं दे पाए। रात को अंधेरा होने पर जान बचाना बहुत ज्यादा मुश्किल हो गया। किसी तरह मोबाइल की टार्च जलाकर एक-दूसरे से बातचीत करते रहे और ढांढस बंधाते रहे। बुधवार सुबह जब उनके पास हेलीकाप्टर पहुंचा तो उनकी जान में जान आ गई. एसडीआरएफ ने जयप्रकाश वीएस, भारत वी, अनिल कुमार भट्ट, मधु किरण रेड्डी, शीना लक्ष्मी, सौम्या, शिवा ज्योति और स्मृति प्रकाश डोलस को बचाया हैं।

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