Vice President: क्या उपराष्ट्रपति धनखड़ पर सफल हो पाएगा अविश्वास प्रस्ताव? पद से हटाने के लिए विपक्ष ने दिया नोटिस, जानिए क्या है संवैधानिक प्रक्रिया?

Vice President: क्या उपराष्ट्रपति धनखड़ पर  सफल हो पाएगा अविश्वास प्रस्ताव? पद से हटाने के लिए विपक्ष ने दिया नोटिस, जानिए क्या है संवैधानिक प्रक्रिया?
अंतिम अपडेट: 10-12-2024

राज्यसभा के सभी मौजूदा सदस्यों के बहुमत से पारित और लोकसभा द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव के जरिए उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाया जा सकता है।

Remove Vice President: राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को उनके पद से हटाने के लिए विपक्षी दलों ने मंगलवार, 10 दिसंबर 2024 को एक अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया। इस प्रस्ताव पर अब तक 70 सांसद हस्ताक्षर कर चुके हैं। विपक्ष ने जगदीप धनखड़ पर बार-बार सदन में पक्षपात करने और निष्पक्षता का पालन न करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि सभापति का रवैया लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करने वाला है।

हालांकि, सवाल यह है कि क्या इस अविश्वास प्रस्ताव के जरिए उपराष्ट्रपति को पद से हटाना संभव होगा। संविधान में उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया कठिन और बहुमत आधारित है। इसे सफल बनाने के लिए विपक्ष को अपने मौजूदा संख्या बल से कहीं अधिक समर्थन जुटाना होगा।

उपराष्ट्रपति को हटाना आसान नहीं

उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाना भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली में एक जटिल और कठिन प्रक्रिया है। संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए राज्यसभा और लोकसभा में क्रमशः 'प्रभावी बहुमत' और 'साधारण बहुमत' की आवश्यकता होती है। वर्तमान में लोकसभा में एनडीए के पास 293 सांसद हैं, जबकि विपक्षी गठबंधन 'INDIA' के पास 236 सांसद हैं। बहुमत के लिए 272 का आंकड़ा जरूरी है। ऐसे में विपक्ष को 14 अन्य सदस्यों का समर्थन भी जुटाना होगा, जो आसान नहीं है।

बहुमत और संवैधानिक प्रक्रिया

संविधान के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया स्पष्ट की गई है। इसके अनुसार:

1. उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए राज्यसभा में एक प्रस्ताव लाना होगा।

2. यह प्रस्ताव सदन के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित होना चाहिए।

3. इसके बाद प्रस्ताव को लोकसभा में पेश किया जाएगा, जहां इसे साधारण बहुमत से पारित कराना अनिवार्य है।

अनुच्छेद 67(बी) के प्रावधान

संविधान का अनुच्छेद 67(बी) यह बताता है कि उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए राज्यसभा में 14 दिन पहले नोटिस देना होगा। यह नोटिस लिखित रूप में होगा और इसमें स्पष्ट रूप से हटाने के कारणों का उल्लेख होना चाहिए। इसके अलावा, जब यह प्रस्ताव विचाराधीन होगा, तब सभापति सदन की अध्यक्षता नहीं कर सकते। ऐसे मामलों में राज्यसभा का वरिष्ठतम सदस्य अध्यक्षता करता है।

प्रस्ताव पर विचार के नियम

1. प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही पेश किया जा सकता है, लोकसभा में नहीं।

2. प्रस्ताव के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य है।

3. प्रस्ताव को राज्यसभा में 'प्रभावी बहुमत' और लोकसभा में 'साधारण बहुमत' से पारित किया जाना चाहिए।

4. प्रस्ताव के विचाराधीन होने के दौरान सभापति सदन की अध्यक्षता नहीं कर सकते।

विपक्ष के सामने बड़ी चुनौती

उपराष्ट्रपति को हटाने का यह प्रस्ताव विपक्ष के लिए एक बड़ी राजनीतिक चुनौती है। राज्यसभा और लोकसभा में एनडीए की मजबूत स्थिति के चलते विपक्ष के लिए बहुमत जुटाना कठिन है। लोकसभा में विपक्षी दलों को 14 अतिरिक्त सांसदों का समर्थन चाहिए, जबकि राज्यसभा में उन्हें 'प्रभावी बहुमत' जुटाना होगा। एनडीए का संगठित समर्थन और संख्या बल इस प्रक्रिया को और जटिल बना देता है।

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