बांग्लादेश के ढाका शहर में एक नई विवादास्पद घटना सामने आई है, जिसमें पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले एक निर्माण कार्य के खिलाफ स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों द्वारा प्रदर्शन किए जा रहे हैं। यह मामला ढाका एलिवेटेड एक्सप्रेसवे के निर्माण से जुड़ा हुआ है, जो पंथकुंजा पार्क क्षेत्र में हो रहा है। इस परियोजना के तहत कई पेड़ों की कटाई की जा रही है और इस कारण पार्क और आसपास के हरित क्षेत्रों में प्रदूषण और क्षति की चिंता बढ़ गई है।
हाल ही में, इस मुद्दे को लेकर कई स्थानीय निवासी और पर्यावरण समर्थक सड़कों पर उतरे। उन्होंने न केवल ढाका एलिवेटेड एक्सप्रेसवे के निर्माण को तत्काल रोकने की मांग की, बल्कि सरकार से यह भी अनुरोध किया कि शहरी विकास के बजाय पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जाए। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ एक विशाल मानव श्रृंखला बनाकर अपने विरोध का इजहार किया। इस दौरान उनका कहना था कि शहरों का विकास तो आवश्यक है, लेकिन इसके लिए प्रकृति और पर्यावरण का शोषण नहीं किया जाना चाहिए।
स्थानीय लोगों की नाराजगी इस बात पर भी है कि सरकार ने उनके विरोध के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया है और न ही इस मामले में उनके साथ संवाद स्थापित किया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में और अधिक जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है और केवल विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों का बलिदान नहीं किया जा सकता।
बांग्लादेश में हाल के दिनों में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल रहा है, और यहां की अर्थव्यवस्था में भी उतार-चढ़ाव देखे गए हैं। हालांकि, यह देश पहले विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शुमार था, लेकिन अब इसकी स्थिति में गिरावट आई है। वर्तमान में बांग्लादेश में सरकार की नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं, और यह माना जा रहा है कि अगर सरकार ने जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
इस बीच, बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद युनूस की सरकार पर आलोचना हो रही है, क्योंकि वह कई मुद्दों पर प्रभावी कदम उठाने में असमर्थ साबित हो रही है। देश की जीडीपी और विकास दर में गिरावट, सुरक्षा और राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति ने बांग्लादेश की छवि को भी प्रभावित किया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या बांग्लादेश की सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाएगी और पर्यावरणीय संरक्षण को प्राथमिकता देगी, या फिर विकास की कीमत पर प्राकृतिक संसाधनों का शोषण जारी रहेगा?
हालांकि, इस मुद्दे को लेकर स्थानीय प्रशासन ने कोई ठोस बयान नहीं दिया है, लेकिन प्रदर्शनकारियों का मानना है कि अगर उनके आंदोलन का समर्थन बढ़ता है तो सरकार को इस मामले में किसी न किसी रूप में हस्तक्षेप करना ही होगा। फिलहाल, बांग्लादेश में पर्यावरणीय संकट और राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति चिंता का विषय बन चुकी है, और आने वाले समय में यह मुद्दा और भी गर्म हो सकता है।