हिंदू संगठनों ने कट्टरपंथियों द्वारा हिंदुओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया है, और उनका कहना है कि मुहम्मद यूनुस, जो संबंधित क्षेत्र के प्रमुख हैं, इस पर मूकदर्शक बने हुए हैं और कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
ढाका: बांग्लादेश में कट्टरपंथियों का हिंदू समुदाय और उनके मंदिरों पर हमला जारी है। हाल ही में, ढाका में स्थित इस्कॉन नमहट्टा मंदिर पर हमला हुआ। हमलावरों ने पहले मंदिर में तोड़फोड़ की और फिर देवताओं की मूर्तियों में आग लगा दी। इस हमले से हिंदू संगठनों में आक्रोश फैल गया है, जिन्होंने बांग्लादेश सरकार पर आरोप लगाए हैं कि वह कट्टरपंथियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रही हैं।
इन घटनाओं को लेकर मुहम्मद यूनुस पर भी आलोचना की जा रही है कि वह इन हमलों पर मूकदर्शक बने हुए हैं। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों को लगातार निशाना बनाए जाने का मुद्दा गंभीर हो गया है और हिंदू संगठनों का कहना है कि सरकार को ऐसे हमलों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की जरूरत है ताकि धार्मिक असहमति और हिंसा को रोका जा सके।
कोलकाता इस्कॉन के उपाध्यक्ष ने की घटना की पुष्टि
कोलकाता इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने ढाका स्थित इस्कॉन नमहट्टा मंदिर पर हुए हमले की पुष्टि की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि हमलावरों ने मंदिर की टिन की छत को हटा दिया और मूर्तियों को जलाने से पहले उन पर पेट्रोल डाला। राधारमण दास ने यह भी उल्लेख किया कि एक सप्ताह पहले मुस्लिम भीड़ ने इस्कॉन नमहट्टा केंद्र को जबरन बंद कर दिया था।
इसके साथ ही उन्होंने इस घटना को हिंदू विरोधी मानसिकता के एक हिस्से के रूप में देखा और आरोप लगाया कि हाल ही में हुई गिरफ्तारी और हिंदू संगठन इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने के प्रयासों के जरिए हिंदुओं का उत्पीड़न किया जा रहा हैं।
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमले तब से बढ़े हैं जब से शेख हसीना की सरकार के बाद कट्टरपंथियों ने हिंसा और उत्पीड़न का रास्ता अपनाया। खासकर 25 नवंबर को सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद यह हिंसा और तेज हो गई है। चिन्मय दास और उनके सहयोगियों पर हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप था, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई थी।
यह गिरफ्तारी एक स्थानीय राजनेता की शिकायत के बाद की गई थी। इसके बाद से कट्टरपंथी समूह हिंदू मंदिरों और धार्मिक स्थलों को लगातार निशाना बना रहे हैं। चिन्मय दास की गिरफ्तारी और हिंदू समुदाय के खिलाफ चलाए गए ऐसे मामलों को लेकर हिंदू संगठनों ने यह आरोप लगाया है कि यह हिंदू विरोधी मानसिकता का हिस्सा है और इसका उद्देश्य हिंदू समुदाय को दबाना हैं।