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France Govt Collapse: संसद में विश्वास मत हारने के बाद गिरी फ्रांस की सरकार; 60 साल में पहली बार हुआ ऐसा, क्या इमैनुएल मैक्रों देंगे इस्तीफा?

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फ्रांस की प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर की सरकार तीन महीने में गिर गई है, जिसके परिणामस्वरूप फ्रांस की राजनीति में संकट गहरा गया है। दक्षिणपंथी और वामपंथी सांसदों ने एक साथ मिलकर एक अविश्वास प्रस्ताव लाया, जिसके कारण बार्नियर को सत्ता से हटा दिया गया। 

लंदन: फ्रांस की प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर की सरकार हाल ही में अविश्वास मत हारने के बाद गिर गई है, जिसके कारण फ्रांस की राजनीति में संकट गहरा गया है। दक्षिणपंथी और वामपंथी सांसदों ने मिलकर एक अविश्वास प्रस्ताव लाया, जिसके परिणामस्वरूप बार्नियर को सत्ता से हटा दिया गया। इसके साथ ही राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर भी इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया हैं।

सरकार के गिरने के प्रमुख कारणों में बार्नियर का 2025 के बजट को संसद से बिना वोट के पास कराने का प्रयास था, जो विपक्षी पार्टियों के लिए अस्वीकार्य था। इसे लेकर संसद में भारी विरोध हुआ, और इसके बाद सरकार को अस्थिरता का सामना करना पड़ा। 

60 साल बाद गिरी फ्रांस की सरकार 

फ्रांस में बजट विवादों के बाद विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाया, जिसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर और उनके मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा। यह घटना 1962 के बाद से पहली बार हुई है, जब किसी अविश्वास प्रस्ताव के कारण फ्रांसीसी सरकार सत्ता से बाहर हुई है। इस राजनीतिक अस्थिरता के कारण यूरो में स्विस फ्रैंक और पाउंड जैसी अन्य यूरोपीय मुद्राओं के मुकाबले गिरावट देखी गई।

हालांकि, सरकार गिरने के बावजूद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने यह स्पष्ट किया कि वे 2027 तक अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि वे देशवासियों की सेवा में निरंतर लगे रहेंगे, और उनके कार्यकाल में कोई बदलाव नहीं होगा।

क्या इमैनुएल मैक्रों देंगे इस्तीफा?

फ्रांस में हुए अविश्वास प्रस्ताव के बाद, 331 वोट इसके पक्ष में पड़े, जबकि इसके लिए केवल 288 वोटों की आवश्यकता थी। यह घटनाक्रम यह दर्शाता है कि फ्रांस की संसद में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया है, क्योंकि संसद तीन प्रमुख धड़ों में बंटी हुई है। इनमें मैक्रों के केंद्रीय सहयोगी, वामपंथी गठबंधन न्यू पॉपुलर फ्रंट और दक्षिणपंथी नैशनल रैली शामिल हैं।

इस अविश्वास प्रस्ताव की शुरुआत बजट प्रस्ताव को लेकर हुई थी, जो प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर द्वारा लाया गया था। बजट को लेकर विपक्षी धड़े, जो आमतौर पर अलग रहते थे, अब एकजुट हो गए और बार्नियर के खिलाफ उतर आए। यह स्थिति तब बनी जब बार्नियर को केवल 3 महीने पहले प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था, और वे अब फ्रांस के सबसे कम समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले नेता बन गए हैं।

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