Laos: यात्रा के दौरान लाओस पहुंचे पीएम मोदी, भारतीय प्रवासियों से की मुलाकात, 'लाओ रामायण' का देखा मंच

Laos: यात्रा के दौरान लाओस पहुंचे पीएम मोदी, भारतीय प्रवासियों से की मुलाकात, 'लाओ रामायण' का देखा मंच
Last Updated: 7 घंटा पहले

पीएम मोदी आज से लाओस की यात्रा पर निकले हैं। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने वहां लाओ रामायण की शानदार और आकर्षक प्रस्तुति का आनंद लिया। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी ने यहां बौद्ध भिक्षुओं से भी भेंट की।

PM Modi Visit in Laos: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) आज (10 अक्टूबर) से लाओस की यात्रा पर हैं। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने रामायण के लाओ संस्करण की प्रस्तुति देखी, जो भारत की सदियों पुरानी विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

यह प्रस्तुति भारत और लाओस के बीच साझा विरासत और प्राचीन सभ्यतागत संबंधों को उजागर करती है। इस मौके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ मौजूद रहे। उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी लाओस की राजधानी में आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंचे हैं।

रामायण का लाओ संस्करण देखा: पीएम मोदी

विएंतियाने पहुंचने के बाद, उन्होंने लाओ रामायणफलक फालमयाफ्रलक फ्ररामकी एक अद्भुत प्रस्तुति देखी, जिसे प्रतिष्ठित रॉयल थिएटर ऑफ लुआंग प्रबांग के कलाकारों ने पेश किया।फ्रलकफ्रराम डॉट कॉमके अनुसार, लाओ रामायण मूल भारतीय संस्करण से भिन्न है। इस दृश्य को देखकर पीएम मोदी मंत्रमुग्ध हो गए।

उल्लेखनीय है कि रामायण का यह लाओ संस्करण 16वीं शताब्दी के आस-पास बौद्ध समूहों के माध्यम से लाओस में पहुंचा था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल नेएक्सपर एक पोस्ट में लिखा, “साझा विरासत और परंपरा दोनों देशों को और निकट ला रही हैं। यह प्रस्तुति भारत और लाओस के समृद्ध और साझा संबंधों का एक बेहतरीन उदाहरण थी।

लाओस में रामायण का मंच एक प्राचीन परंपरा

लाओस में "रामायण" का मंचन एक प्राचीन परंपरा है, जो भारत और लाओस के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों को दर्शाता है। यह महाकाव्य केवल लाओस की संस्कृति में गहराई से समाहित है, बल्कि यह दोनों देशों के साझा इतिहास और विरासत का प्रतीक भी है।

विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, लाओस में रामायण का यह मंचन आज भी जारी है, जिससे यह साबित होता है कि भारतीय संस्कृति और परंपराएं वहां के समाज में कैसे जीवित हैं। भारतीय संस्कृति की गहरी छाप और उसकी वैश्विक पहुंच इस तथ्य से स्पष्ट होती है कि लाओस में कई पहलुओं का संरक्षण किया जा रहा है।

पोस्ट के जरिए पीएम मोदी ने दी जानकारी

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान, उन्होंने लाओ पीडीआर के केंद्रीय बौद्ध फेलोशिप संगठन के वरिष्ठ बौद्ध भिक्षुओं से भी मुलाकात की और विएंतियान में सी साकेत मंदिर में आयोजित एक आशीर्वाद समारोह में भाग लिया। यह समारोह महवेथ मसेनई की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था।

पीएम मोदी ने लाओस में अपनी यात्रा के दौरान एक पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने वहां के भिक्षुओं और आध्यात्मिक गुरुओं से मुलाकात की बात की। उन्होंने लिखा कि ये भिक्षु भारतीयों द्वारा पाली को दिए जा रहे सम्मान को देखकर खुश थे, और उन्होंने उनके आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त किया।

विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत और लाओस के बीच साझा बौद्ध विरासत एक मजबूत सभ्यतागत संबंधों का प्रतीक है। इस दौरान, मोदी ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा वट फू मंदिर परिसर के जीर्णोद्धार और संरक्षण कार्य पर आधारित प्रदर्शनी भी देखी। वट फू मंदिर, जो यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है, भारत और लाओस के बीच करीबी सभ्यतागत संबंधों का प्रतीक है।

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