हिमाचल प्रदेश में 2024 का मानसून भारी तबाही लेकर आया है। राज्य में अब तक बारिश के कारण 1363 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। 33 लोग लापता हैं और 54 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। कुल्लू, मंडी और शिमला (Shimla Disaster) में सबसे अधिक नुकसान हुआ है। हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में हालात अभी भी ठीक नहीं हैं।
Himachal Pradesh: हिमाचल में 2024 का मानसून कभी न भूलने वाले जख्म छोड़ गया है। राज्य में इस बार भी बारिश के कारण अब तक 1363 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। बारिश में बहे 33 लोग अभी तक लापता हैं, जिनका कोई भी सुराग नहीं मिल पाया है। इस मानसून के दौरान हिमाचल में बादल फटने की 54 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें प्रदेश के कुल्लू, मंडी और शिमला में सबसे अधिक नुकसान हुआ है।
अक्टूबर तक मानसून सक्रिय रहा
राज्य आपदा प्रबंधन के निदेशक डीसी राणा द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि हिमाचल प्रदेश में 27 जून से 2 अक्टूबर तक मानसून सक्रिय रहा। इस अवधि के दौरान राज्य में कुल 600.9 मिमी वर्षा हुई, जो सामान्य से 18 प्रतिशत कम है। इस वर्ष मानसून जुलाई में अपने चरम पर रहा, जहाँ 255 मिमी की अपेक्षा केवल 180 मिमी बारिश दर्ज की गई। वहीं, अगस्त में सामान्य वर्षा 256 मिमी के मुकाबले 243 मिमी वर्षा हुई। इस प्रकार, इस साल मानसून के दौरान कुल 734 मिमी वर्षा हुई।
बादल फटने से हुई मौत
डीसी राणा ने जानकारी दी है कि राज्य में बादल फटने और बाढ़ की कुल 54 घटनाएं हुई हैं, जिनमें 65 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से 33 लोग अभी भी लापता हैं। इसके अलावा, इस मानसून सीजन में भूस्खलन की 47 घटनाएं भी दर्ज की गई हैं, जिनमें 5 लोगों की जान गई है। राज्य को वर्ष 2024 के मानसून में लगभग 1363 करोड़ रुपये की आर्थिक हानि का सामना करना पड़ा है।
सबसे अधिक नुकसान 31 जुलाई की मध्यरात्रि के दौरान हुआ। पिछले अगस्त में कुल्लू, मंडी और शिमला जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए, जहां इन तीन जिलों में ही 55 लोगों की जान चली गई।
पिछले साल आई तबाही
हिमाचल प्रदेश के मंडी और कुल्लू जिलों में पिछले वर्ष निम्न दबाव के कारण भारी वर्षा और विनाशकारी बाढ़ आई थी। हिमालय क्षेत्र में कई दिनों से बने निम्न दबाव के चलते भारी बारिश हुई, जबकि तेजी से पिघलती बर्फ ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी द्वारा पिछले साल 8 और 9 जुलाई को आई इस प्राकृतिक आपदा पर किए गए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।