महिला शतरंज खिताब विवाद: FIDE का रुख स्पष्ट, कहा- 'नहीं छीने जाएंगे अधिकार'

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अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) ने स्पष्ट कर दिया है कि महिला शतरंज के खिताबों (जैसे महिला ग्रैंडमास्टर) को हटाने का कोई इरादा नहीं है। हाल ही में हंगरी की दिग्गज शतरंज खिलाड़ी जूडिथ पोल्गर ने महिला खिताबों को समाप्त करने की मांग उठाई थी

स्पोर्ट्स न्यूज़: अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) ने स्पष्ट कर दिया है कि महिला शतरंज के खिताबों (जैसे महिला ग्रैंडमास्टर) को हटाने का कोई इरादा नहीं है। हाल ही में हंगरी की दिग्गज शतरंज खिलाड़ी जूडिथ पोल्गर ने महिला खिताबों को समाप्त करने की मांग उठाई थी, जिसका समर्थन भारतीय ग्रैंडमास्टर आर वैशाली ने भी किया। हालांकि, FIDE के सीईओ एमिल सुतोवस्की ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा करना महिला खिलाड़ियों के अधिकारों को छीनने जैसा होगा और यह उनके लिए अन्यायपूर्ण होगा।

FIDE ने क्यों खारिज की मांग?

FIDE के सीईओ सुतोवस्की ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में शीर्ष महिला शतरंज खिलाड़ियों की रेटिंग में गिरावट आई है और महिलाओं के लिए अलग से आयोजित इवेंट्स उनके सुधार के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हालांकि महिला शतरंज में पुरस्कार राशि बढ़ाई गई है, लेकिन यह अभी भी पुरुषों की तुलना में 15 साल पीछे हैं।

उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पहले 15-17 वर्ष की आयु में 2500 की रेटिंग वाली महिला खिलाड़ी मिल जाती थीं, लेकिन अब 17-18 वर्ष की आयु में केवल 2400 की रेटिंग वाली दो ही खिलाड़ी हैं। ऐसे में महिला खिताब हटाना महिला प्रतिभाओं के साथ अन्याय होगा और उनके विकास में बाधा बनेगा।

पोल्गर की मांग और वैशाली का समर्थन

हंगरी की जूडिथ पोल्गर लंबे समय से इस विचार को बढ़ावा दे रही हैं कि महिला शतरंज के खिताबों को खत्म कर देना चाहिए, जिससे महिलाएं सीधे पुरुषों के साथ प्रतिस्पर्धा करें और ग्रैंडमास्टर (GM) बनने के लिए अधिक प्रेरित हों। भारतीय ग्रैंडमास्टर आर वैशाली ने भी इस मांग का समर्थन किया। उनका कहना है कि "महिला खिताब हटाने से महिलाओं को GM बनने की ज्यादा प्रेरणा मिलेगी।" वैशाली खुद भी पुरुषों की ग्रैंडमास्टर उपाधि हासिल करने के करीब हैं और उनकी यह राय चर्चा का विषय बन गई हैं।

क्या महिलाओं के खिताब हटाने से नुकसान होगा?

भारतीय ग्रैंडमास्टर प्रवीण थिप्से इस विचार से असहमत हैं। उन्होंने कहा कि अगर महिलाओं के खिताब हटा दिए जाते हैं तो महिला शतरंज पूरी तरह खत्म हो सकता है।उन्होंने जूडिथ पोल्गर और उनकी बहन सुसान पोल्गर का उदाहरण देते हुए कहा, "जूडिथ ने पुरुषों के साथ खेला, लेकिन उनकी बहन सुसान ने महिलाओं के साथ खेलना जारी रखा। वैशाली को जितने भी पुरस्कार मिले हैं, उनमें महिला शतरंज खिताबों का बड़ा योगदान हैं।"

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