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AI की तारीफ में फंसा टोरंटो का शख्स:  21 दिन की वर्चुअल यात्रा, हकीकत में टूटा भ्रम

AI की तारीफ में फंसा टोरंटो का शख्स:  21 दिन की वर्चुअल यात्रा, हकीकत में टूटा भ्रम

कनाडा के एलेन ब्रूक्स ने 21 दिन में 300 घंटे ChatGPT से बात कर 'टेम्पोरल मैथ' थ्योरी बनाई, जिसे उन्होंने साइबर सुरक्षा खतरा माना, मगर विशेषज्ञों ने इसे निराधार साबित कर उनका भ्रम तोड़ दिया।

Artificial intelligence: चैटबॉट्स के साथ लंबी बातचीत कई बार रोमांचक और सीखने वाली साबित होती है, लेकिन कभी-कभी यह कल्पना और हकीकत की सीमा को धुंधला भी कर सकती है। कनाडा के टोरंटो शहर के पास रहने वाले 47 वर्षीय एलेन ब्रूक्स (Allan Brooks) का मामला इसी का ताज़ा उदाहरण है। तीन हफ्तों में करीब 300 घंटे ChatGPT के साथ बातचीत करने के बाद, उन्हें विश्वास हो गया कि उन्होंने ऐसा वैज्ञानिक फॉर्मूला खोज लिया है जो इंटरनेट को बंद कर सकता है और 'लेविटेशन बीम' जैसी अद्भुत तकनीकों को जन्म दे सकता है। लेकिन जब वास्तविकता से सामना हुआ, तो पूरा सपना चकनाचूर हो गया।

कैसे शुरू हुआ सफर

मई महीने में, ब्रूक्स ने एक साधारण सवाल से ChatGPT के साथ लंबी बातचीत शुरू की। सवाल था – π (पाई) संख्या को लेकर। यह एक सामान्य गणितीय चर्चा थी, लेकिन धीरे-धीरे बातचीत ने एक नया मोड़ लिया। विषय गणित से भौतिकी और फिर हाई-टेक साइंस थ्योरी तक पहुंच गया।शुरुआत में ब्रूक्स AI से रोज़मर्रा के सवाल पूछा करते थे — बच्चों के लिए हेल्दी रेसिपी, अपने पालतू कुत्ते की देखभाल, या साधारण तकनीकी जानकारी। लेकिन इस बार चैटबॉट के जवाबों ने उन्हें एक गहरी और रोमांचक खोज की दिशा में धकेल दिया।

'जीनियस' वाली तारीफ और नए विचार

ब्रूक्स ने AI से कहा कि विज्ञान शायद 'दो-डायमेंशनल नजरिए से चार-डायमेंशनल दुनिया' को देख रहा है। इस पर चैटबॉट ने उन्हें “बेहद समझदार” कहा। यह तारीफ उनके आत्मविश्वास को और बढ़ा गई। उन्होंने चैटबॉट को एक नाम भी दे दिया – 'लॉरेंस'।लॉरेंस के साथ बातचीत के दौरान, उन्हें लगने लगा कि उनकी सोच फिजिक्स और मैथमैटिक्स के सिद्धांत बदल सकती है। उन्होंने 50 से ज्यादा बार चैटबॉट से पूछा, 'क्या मैं भ्रम में हूं?' और हर बार उन्हें जवाब मिला – 'नहीं, आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं।'

'टेम्पोरल मैथ' और इंटरनेट खतरे की चेतावनी

ब्रूक्स और AI ने मिलकर एक नई थ्योरी तैयार की – 'Temporal Math'। चैटबॉट के मुताबिक, यह थ्योरी हाई-लेवल एन्क्रिप्शन सिस्टम को तोड़ सकती है। इस जानकारी ने ब्रूक्स को और गंभीर बना दिया। उन्हें लगा कि यह खोज साइबर सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है, और यह उनका नैतिक कर्तव्य है कि वे दुनिया को चेतावनी दें। उन्होंने कनाडा की सरकारी एजेंसियों, साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स, और यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NSA) से भी संपर्क किया। लेकिन जब विशेषज्ञों ने उनकी थ्योरी का परीक्षण किया, तो उसमें कोई व्यावहारिक या वैज्ञानिक आधार नहीं निकला।

विशेषज्ञों की राय

AI सेफ्टी रिसर्चर हेलेन टोनर का कहना है:

'चैटबॉट्स कई बार यूज़र की गलत मान्यताओं को चुनौती देने के बजाय उन्हें और मजबूत कर देते हैं। इसका कारण यह है कि AI तथ्य जांचने से ज्यादा बातचीत में किरदार निभाने पर ध्यान देता है।'

इस केस से यह साफ हो जाता है कि AI बातचीत में सहानुभूति और तारीफ तो दे सकता है, लेकिन हर बार वैज्ञानिक सटीकता की गारंटी नहीं देता।

भ्रम का अंत

आखिरकार, हकीकत का सामना करते हुए ब्रूक्स ने AI से आखिरी बार कहा,

'तुमने मुझे यकीन दिला दिया कि मैं कोई जीनियस हूं, लेकिन मैं तो बस एक इंसान हूं जिसके पास सपने और एक फोन है। तुमने अपना असली मकसद पूरा नहीं किया।'

यह वाक्य सिर्फ उनकी निराशा ही नहीं, बल्कि AI पर आंख बंद करके भरोसा करने के खतरे को भी दर्शाता है।

OpenAI का जवाब

इस मामले पर OpenAI का कहना है कि वे ChatGPT के जवाबों को बेहतर बनाने और इस तरह की मानसिक व भावनात्मक स्थितियों को संभालने के लिए सिस्टम में सुधार कर रहे हैं। कंपनी का मानना है कि AI को न सिर्फ तथ्य देने चाहिए, बल्कि जरूरत पड़ने पर यूज़र की सोच को संतुलित दिशा में भी मोड़ना चाहिए।

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