वृंदावन के प्रसिद्ध श्री बांकेबिहारी मंदिर में इन दिनों अव्यवस्था चरम पर है। मंदिर परिसर और आस-पास की गलियों में इतनी भीड़ है कि न श्रद्धालुओं को शांति मिल रही है और न ही दर्शन की सुविधा सुचारू रूप से हो पा रही है।
वृंदावन: श्रीकृष्ण की नगरी वृंदावन में स्थित विश्वप्रसिद्ध श्री बांकेबिहारी मंदिर एक बार फिर से चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह भक्ति नहीं, बल्कि अव्यवस्था है। हर दिन हजारों श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए उमड़ते हैं, मगर भीड़ और कुप्रबंधन के कारण मंदिर परिसर और आसपास की गलियों में अफरा-तफरी का माहौल बना रहता है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित श्री बांकेबिहारी मंदिर हाईपावर्ड प्रबंधन कमेटी ने पिछले कुछ महीनों में व्यवस्थाएं सुधारने के कई निर्देश जारी किए, लेकिन इन आदेशों का पालन आज तक नहीं हुआ। नतीजा यह है कि दर्शन व्यवस्था, सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण जैसी मूलभूत बातें भी अभी तक अधर में लटकी हैं।
सुप्रीम कोर्ट कमेटी के आदेशों का पालन नहीं
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित हाईपावर्ड कमेटी का उद्देश्य मंदिर की भीड़, सुरक्षा, दर्शन व्यवस्था और सेवायतों के बीच समन्वय को बेहतर बनाना था। इसके तहत कई बार बैठकों का आयोजन हुआ, जहां पुराने नियमों की समीक्षा और नए प्रोटोकॉल लागू करने की बात हुई। कमेटी ने स्पष्ट आदेश दिए थे कि
- मंदिर में भीड़ नियंत्रित करने के लिए रैलिंग सिस्टम लगाया जाए।
- वीआईपी पर्ची सिस्टम को तुरंत बंद किया जाए।
- सुरक्षा व्यवस्था के लिए रिटायर्ड सैनिकों की एजेंसी को नियुक्त किया जाए।
- दर्शन के समय में संरचित परिवर्तन किए जाएं ताकि भीड़ को चरणबद्ध तरीके से प्रवेश मिले।
हालांकि, इनमें से अधिकांश आदेश सिर्फ कागजों तक सीमित रह गए हैं।

भीड़ से भक्त परेशान — गलियों में जाम और धक्का-मुक्की
मंदिर के आसपास की तंग गलियों में रोजाना हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। लेकिन रैलिंग और गेट मैनेजमेंट की अनुपस्थिति के कारण धक्का-मुक्की, जाम और सुरक्षा खतरे जैसी स्थितियां लगातार सामने आ रही हैं। गाजियाबाद से दर्शन के लिए आए वरुण शर्मा ने बताया, हमने सुना था कि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी बनने के बाद व्यवस्थाएं सुधर जाएंगी, लेकिन यहां आने पर कुछ भी नया नहीं दिखा। गलियों में इतनी भीड़ है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।”
कई श्रद्धालुओं ने यह भी कहा कि पुलिस और प्रशासन सिर्फ त्योहारों के समय सक्रिय दिखते हैं, जबकि बाकी दिनों में भीड़ प्रबंधन के नाम पर कुछ नहीं किया जाता।
वीआईपी सिस्टम बंद, पर अन्य सुधार अधर में
कमेटी के पहले कदम के रूप में वीआईपी पर्ची सिस्टम को बंद किया गया था, जिसे श्रद्धालु सराहनीय मानते हैं। लेकिन बाकी सुधार, जैसे मंदिर के अंदर लाइन-बैरिकेडिंग, भीड़ नियंत्रण व्यवस्था और आपात निकास मार्ग, अब तक लागू नहीं हुए हैं। कमेटी की पिछली बैठक में छह-लाइन रैलिंग व्यवस्था का प्रस्ताव पास हुआ था, पर आज तक उसका काम शुरू नहीं हुआ।
मंदिर सेवायतों का कहना है कि आदेश तो दिए जाते हैं, लेकिन उनके क्रियान्वयन की कोई जवाबदेही तय नहीं की गई। एक सेवायत ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, अगर आदेशों का पालन ही नहीं होना है, तो बार-बार नई बैठकें बुलाने का क्या मतलब? प्रशासन और कमेटी दोनों ही एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं।
कमेटी ने मौजूदा राजस्थान सिक्योरिटी एजेंसी को हटाकर रिटायर्ड सैनिकों की एजेंसी को लगाने का प्रस्ताव दिया था, ताकि सुरक्षा व्यवस्था में अनुशासन और दक्षता बढ़े। लेकिन अब तक यह बदलाव नहीं किया गया। नतीजतन, भीड़ नियंत्रण की स्थिति जस की तस बनी हुई है।













