बिहार में चिराग पासवान 33 सीटों पर प्रभाव के दम पर किंगमेकर बनने की तैयारी में हैं। पिछली बार इन सीटों पर जेडीयू को नुकसान पहुंचाया था। अब एनडीए और महागठबंधन दोनों पर दबाव है।
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों ने रफ्तार पकड़ ली है। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) चुनावी मोड में आ चुका है। नीतीश कुमार सरकार ने आयोगों और बोर्डों में नियुक्तियां कर संभावित बगावतों पर नियंत्रण की कोशिश की है। वहीं, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। उनकी दावेदारी खासतौर पर 70 सीटों पर है, जिसने एनडीए के भीतर हलचल मचा दी है।
33 सीटों पर है चिराग की विशेष नजर
चिराग पासवान की पूरी रणनीति उन 33 विधानसभा सीटों पर केंद्रित है, जहां 2020 के चुनाव में उनकी पार्टी ने सीधे तौर पर जनता दल (यूनाइटेड) को नुकसान पहुंचाया था। ये सीटें उनकी बार्गेनिंग पावर की असली ताकत हैं। पिछली बार एलजेपी (अब एलजेपी-रामविलास) ने 137 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन केवल एक सीट पर जीत मिली। बावजूद इसके, 33 सीटों पर जेडीयू को हार का सामना करना पड़ा और चिराग की पार्टी को इन सीटों पर निर्णायक वोट मिले।
कैसे पहुंचे जेडीयू को नुकसान
2020 के चुनाव में एलजेपी ने जिन सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए, उनमें से 28 सीटों पर जेडीयू को जितने अंतर से हार मिली, उससे ज्यादा वोट एलजेपी के उम्मीदवारों को मिले। यहां तक कि पांच सीटों पर एलजेपी उम्मीदवारों ने जेडीयू को तीसरे नंबर पर धकेल दिया। यही सीटें अब चिराग पासवान की सबसे बड़ी पूंजी हैं।
उदाहरण: दिनारा और भागलपुर सीट का समीकरण
दिनारा सीट से आरजेडी के विजय मंडल 8228 वोटों से जीते थे। एलजेपी के उम्मीदवार राजेंद्र सिंह को 51,313 वोट मिले थे, जबकि जेडीयू के जय कुमार सिंह सिर्फ 27,252 वोट ला सके।
इसी तरह भागलपुर सीट से कांग्रेस के अजीत शर्मा 1113 वोटों से जीत दर्ज कर सके, जबकि बीजेपी के रोहित पांडे 64,389 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे। एलजेपी के उम्मीदवार राजेश वर्मा को भी 20,523 वोट मिले, जो हार-जीत का अंतर तय करने के लिए काफी थे।
चिराग की छवि बदलने की कोशिश
चिराग पासवान की राजनीति का केंद्र अब उस 'वोट कटवा' की छवि से बाहर निकलना है जो पिछले चुनाव के बाद उन पर चस्पा हुई थी। उनकी रणनीति अपने पिता रामविलास पासवान की तरह किंगमेकर की भूमिका निभाने की है। 33 सीटों पर मजबूत पकड़ और प्रभाव के आंकड़े उनके इस दावे को बल देते हैं।
एनडीए को भी चिंता
इन 33 सीटों पर चिराग की ताकत को एनडीए भी भलीभांति समझता है। यही वजह है कि बीजेपी और जेडीयू के बीच सीट शेयरिंग को लेकर कोई अंतिम सहमति नहीं बन पा रही है। जेडीयू और बीजेपी दोनों 102-102 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं, जबकि बाकी बची 39 सीटों में से चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा जैसे सहयोगी दलों को एडजस्ट करना है।
सीट शेयरिंग को लेकर क्या है चिराग का प्लान?
चिराग पासवान ने 70 सीटों पर दावा किया है, लेकिन उनका मुख्य लक्ष्य करीब 40 सीटों पर दावेदारी है। यदि बातचीत में 35 सीटों पर समझौता हो जाता है, तो चिराग फ्रेंडली फाइट की रणनीति अपना सकते हैं। यानी कुछ सीटों पर एनडीए में रहते हुए भी एलजेपी (रामविलास) अपने उम्मीदवार खड़े कर सकती है।
इस बार आरजेडी और महागठबंधन होंगे सामने
2020 में जेडीयू को नुकसान पहुंचाने वाले चिराग इस बार अगर 'एकला चलो' की रणनीति दोहराते हैं, तो उनके सामने महागठबंधन रहेगा। यानी आरजेडी, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के साथ मुकाबला होगा। ऐसे में इन 33 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना बढ़ जाती है, जिससे परिणाम काफी प्रभावित हो सकते हैं।