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PM मोदी का कनाडा दौरा: तनाव के बाद नई शुरुआत की ओर बढ़ता भारत-कनाडा संबंध

PM मोदी का कनाडा दौरा: तनाव के बाद नई शुरुआत की ओर बढ़ता भारत-कनाडा संबंध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा के कैलगरी पहुंच गए हैं। यह सम्मेलन अल्बर्टा के कनाकास्किस में आयोजित किया जा रहा है, जहां प्रधानमंत्री मोदी जल्द ही अन्य वैश्विक नेताओं के साथ बैठकें करेंगे। 

PM Modi in Canada: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को कनाडा के अल्बर्टा प्रांत स्थित कैलगरी पहुंचे, जहां वे 51वें जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह दौरा खास इसलिए है क्योंकि 2023 में खालिस्तान मुद्दे को लेकर भारत और कनाडा के बीच उत्पन्न हुए तीव्र कूटनीतिक तनाव के बाद पीएम मोदी की यह पहली कनाडा यात्रा है। 

सम्मेलन कनाडा के खूबसूरत पर्वतीय क्षेत्र कनकास्किस में आयोजित किया जा रहा है, जहां दुनिया की प्रमुख लोकतांत्रिक शक्तियां—फ्रांस, अमेरिका, यूके, जर्मनी, जापान और इटली—एक मंच पर जुटी हैं। इस बार जी-7 सम्मेलन का मेजबान देश कनाडा है और प्रधानमंत्री मोदी को औपचारिक निमंत्रण कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भेजा था। यह लगातार छठा मौका है जब पीएम मोदी जी-7 जैसे वैश्विक मंच पर भारत की भागीदारी को मजबूत कर रहे हैं।

भारत-कनाडा संबंधों में नया मोड़?

कनाडा दौरे की अहमियत सिर्फ वैश्विक कूटनीति तक सीमित नहीं है। यह दौरा उस समय हो रहा है जब भारत और कनाडा के संबंधों में तल्खी अपने चरम पर रही है। 2023 में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडा ने सार्वजनिक रूप से भारत पर उंगलियां उठाई थीं। तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सीधे-सीधे भारत सरकार पर आरोप लगाए थे, जिससे दोनों देशों के बीच विश्वास की दीवार चरमरा गई थी।

इसके बाद वीजा सेवाओं में रुकावट, राजनयिकों की वापसी और कारोबार में असहजता जैसे कई परिणाम सामने आए। लेकिन अब जब कनाडा में सत्ता परिवर्तन हो चुका है और मार्क कार्नी जैसे अनुभवी राजनेता सत्ता में हैं, तब भारत के साथ रिश्तों को नए सिरे से स्थापित करने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

जी-7 सम्मेलन का एजेंडा: वैश्विक मुद्दों पर ध्यान

जी-7 सम्मेलन में इस बार का मुख्य एजेंडा है—जलवायु परिवर्तन, वैश्विक आर्थिक स्थिरता, यूक्रेन संकट, और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में वैश्विक सहयोग। भारत, भले ही जी-7 समूह का हिस्सा नहीं है, लेकिन वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज़ के रूप में पीएम मोदी की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भारत इन मंचों पर अक्सर विकासशील देशों की चिंताओं को सामने लाता रहा है, खासकर जलवायु वित्त, ऊर्जा सुरक्षा, और टिकाऊ विकास के मुद्दों पर। इस बार भी उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी तकनीक, जलवायु न्याय और वैश्विक स्वास्थ्य में भारत के योगदान को उजागर करेंगे।

हालांकि सम्मेलन के पहले दिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी ने हलचल जरूर मचाई, लेकिन मिडिल ईस्ट की स्थिति के कारण वे सम्मेलन के दूसरे सत्रों से पहले ही लौट गए। इससे पीएम मोदी और ट्रंप के बीच प्रस्तावित मुलाकात नहीं हो सकी। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बताया कि ट्रंप ने केवल यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से मुलाकात कर व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए और फिर तत्काल लौट गए।

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