भारत और विश्व के विभिन्न समुदायों में अंतिम संस्कार की प्रथाएं भिन्न और अद्वितीय हैं। अरुणाचल प्रदेश की मोनपा जनजाति में शव को 108 टुकड़ों में काटकर मछलियों को दिया जाता है, पारसी समुदाय में शव को टावर ऑफ साइलेंस पर छोड़ दिया जाता है, जबकि मेडागास्कर और तिब्बत में मृतकों के शरीर को विशेष रीति-रिवाजों के साथ संभाला जाता है। ये प्रथाएं धर्म, संस्कृति और परंपरा की विविधता को दर्शाती हैं।
Funeral Practices: भारत और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अंतिम संस्कार की प्रथाएं आश्चर्यजनक और बहुआयामी हैं। अरुणाचल प्रदेश की मोनपा जनजाति शव को 108 टुकड़ों में काटकर मछलियों को देती है, जबकि दक्षिण भारत में कुछ दलित समुदाय संगीत, नृत्य और आतिशबाजी के साथ शव यात्रा करते हैं। पारसी धर्म में शव को टावर ऑफ साइलेंस पर छोड़ दिया जाता है। मेडागास्कर और तिब्बत में भी मृतकों के शरीर को अनोखी रीति-रिवाजों के साथ अंतिम विदाई दी जाती है। ये प्रथाएं धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता की झलक पेश करती हैं।
भारत में विविध अंतिम संस्कार परंपराएं
भारत में अधिकांश लोग शव को जलाते या दफनाते हैं, लेकिन कुछ जनजातियों और समुदायों में अंतिम संस्कार के तरीके बेहद अलग और चौंकाने वाले होते हैं। अरुणाचल प्रदेश की मोनपा जनजाति में मृतक के शव को 108 टुकड़ों में काटकर मछलियों को खिलाया जाता है। ऐसा मान्यता है कि इससे मृतक का शरीर मरने के बाद भी उपयोगी रहता है।
दक्षिण भारत के तमिलनाडु में कुछ दलित समुदाय संगीत, नृत्य और आतिशबाजी के साथ शव यात्रा आयोजित करते हैं। इस प्रथा का उद्देश्य मृतक के सुखद जीवन का जश्न मनाना और सम्मानपूर्वक विदा करना है।
पारसी और राजस्थान की विशेष प्रथाएं
पारसी समुदाय के अंतिम संस्कार में मृतक के शरीर को टावर ऑफ साइलेंस (दखमा) पर छोड़ दिया जाता है, जहां गिद्ध उसे खाते हैं। इसे दोखमेनाशिनी कहा जाता है और यह पारसी धर्म की विशिष्ट धार्मिक परंपरा है।
राजस्थान की ऊंची जाति में पहले महिलाओं को सार्वजनिक रूप से शोक व्यक्त करने की अनुमति नहीं थी। इसके लिए पेशेवर रुदाली महिलाएं बुलाकर मृतक के लिए शोक व्यक्त करती थीं। यह सांस्कृतिक परंपरा मृतक के सम्मान को बनाए रखने का तरीका थी।
वैश्विक दृष्टिकोण
मेडागास्कर में मलागासी समुदाय अपने पूर्वजों के शव को कब्र से निकालकर साफ कपड़े पहनाकर डांस करते हैं। इसके बाद शव को गांव का चक्कर लगवाकर पुनः दफनाया जाता है।
तिब्बती बौद्ध परंपरा में मृतक के शरीर को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पहाड़ों में रखा जाता है। जंगली जानवर और गिद्ध शव को खाते हैं। यह प्रथा तिब्बत, किंघई और मंगोलिया के कुछ हिस्सों में आज भी जारी है।