सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश — नवरात्रि का पावन पर्व आज धर्मभाव और आस्था के साथ अपना समापन कर रहा है। शहर की नदियों व जलाशयों में आज माँ दुर्गा की प्रतिमाएँ विधिवत रूप से विसर्जित की गईं। स्थानीय मंदिरों से निकली भक्तिमयी शोभायात्राएँ रात तक शहर की सड़कों पर रहीं, और अंत में श्रद्धालु सौभाव से तट पर जमा हुए।
मुख्य दृष्य
सुबह से ही तटों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी, पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवकों ने मिलकर व्यवस्था संभाली।
प्रतिमाएँ एक-एक करके घाटों पर लायी गईं, जहाँ उनको मंत्रोच्चार और आरती के बाद जल में प्रवेश कराया गया।
भक्तों ने फूल, चावल और जल अर्पित किए, साथ ही “जय माता दी” की जयघोष से वातावरण भक्तिमय बन गया।
विशेष रूप से छोटे बच्चों और बुजुर्गों की भी भागीदारी देखने लायक थी — कई महिलाओं ने पारंपरिक पोशाकों में घाट तक पूजा सामग्री ले आए।
प्रशासन और सुरक्षा
विसर्जन क्षेत्रों में पुलिस की नजर लगातार बनी रही — यातायात नियंत्रित किया गया और भीड़ प्रबंधन के लिए बैरिकेडिंग की गई। घाटों पर फोहठे (सफाई कर्मचारी) और जल संसाधन विभाग की टीमों ने पानी को स्वच्छ बनाए रखने का विशेष प्रयास किया।
पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से, कई धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं ने इकोफ्रेंडली प्रतिमाएँ उपयोग करने का आह्वान किया।
भावनात्मक पल
कुछ श्रद्धालुओं की आँखों में आंसू थे, कुछ ने अपने परिवार के साथ फोटो क्लिक कराई। इस विसर्जन ने लोगों में एक अलग सी शांति और हार्दिक जुड़ाव जगाया। बरसों बाद लौटते प्रतिमाओं की जिंदादिली, गीत-भजन और सामूहिक श्रद्धा ने यह प्रमाण दिया कि यह उत्सव केवल रस्मी नहीं, बल्कि भावनात्मक अनुभव भी है।