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करोल नवरोकी बने पोलैंड के नए राष्ट्रपति; टस्क सरकार के लिए बढ़ीं चुनौतियां

करोल नवरोकी बने पोलैंड के नए राष्ट्रपति; टस्क सरकार के लिए बढ़ीं चुनौतियां

पोलैंड में हुए राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार करोल नवरोकी ने बेहद मामूली अंतर से जीत दर्ज की है। उन्हें कुल 50.89 प्रतिशत वोट मिले, जबकि सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार राफाल ट्रजास्कोवस्की को 49.11 प्रतिशत मत प्राप्त हुए।

वारसा: पोलैंड की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है, जहां विपक्षी राष्ट्रवादी उम्मीदवार करोल नवरोकी ने राष्ट्रपति चुनाव में बेहद कम अंतर से जीत दर्ज कर ली है। उन्होंने 50.89 प्रतिशत मत प्राप्त कर सत्ता पक्ष के उम्मीदवार राफाल ट्रजास्कोवस्की को हराया, जिन्हें 49.11 प्रतिशत वोट मिले। इस चुनावी नतीजे ने देश में संभावित राजनीतिक अस्थिरता और नीतिगत गतिरोध की आशंकाएं बढ़ा दी हैं, क्योंकि नवरोकी अब प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क की उदारवादी नीतियों को राष्ट्रपति के वीटो के ज़रिए रोक सकते हैं।

टस्क के लिए बड़ा झटका

प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क की अगुवाई वाली सिविक कोएलिशन सरकार, जो 2023 में सत्ता में आई थी, पूर्ववर्ती दक्षिणपंथी ला एंड जस्टिस पार्टी (पीआईएस) की न्यायिक और संस्थागत नीतियों को पलटने का प्रयास कर रही थी। लेकिन नवरोकी की जीत से इन प्रयासों पर ब्रेक लग सकता है। राष्ट्रपति के पास वीटो की ताकत होती है और यदि संसद में बहुमत के बावजूद राष्ट्रपति कानूनों को मंज़ूरी नहीं देते, तो नीतिगत क्रियान्वयन मुश्किल हो जाता है।

रविवार को हुए मतदान के बाद शुरुआती एग्जिट पोल में ऐसा लग रहा था कि वारसा के मेयर और उदारवादी नेता राफाल ट्रजास्कोवस्की बाज़ी मार सकते हैं। लेकिन जब अंतिम परिणाम आए, तो करोल नवरोकी मामूली अंतर से विजेता घोषित हुए। इस जीत से यह स्पष्ट संकेत मिला है कि पोलैंड के भीतर एक बड़ा तबका अब भी रूढ़िवादी और राष्ट्रवादी मूल्यों के समर्थन में खड़ा है।

करोल नवरोकी: एक इतिहासकार से राष्ट्रपति तक

42 वर्षीय करोल नवरोकी एक दिलचस्प पृष्ठभूमि से आते हैं। वे एक पूर्व मुक्केबाज़ हैं और इतिहासकार के तौर पर प्रतिष्ठित रहे हैं। उन्होंने लंबे समय तक राष्ट्रीय स्मृति संस्थान (Institute of National Remembrance) में कार्य किया है। वे पीआईएस पार्टी के करीबी माने जाते हैं और मौजूदा राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा की विचारधारा से प्रभावित हैं। डूडा के कार्यकाल में जिस प्रकार से उदारवादी सुधारों को अवरुद्ध किया गया, नवरोकी उसी राह पर आगे बढ़ सकते हैं।

राष्ट्रपति चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवार की हार के बाद प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने सोमवार को एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। उन्होंने कहा कि वे संसद में विश्वास मत प्रस्ताव पेश करेंगे ताकि यह साबित कर सकें कि उनकी गठबंधन सरकार को जनता का पूर्ण समर्थन प्राप्त है। हालांकि उन्होंने इस विश्वास मत की तिथि अभी घोषित नहीं की है, लेकिन यह कदम उनकी राजनीतिक मजबूती दिखाने की कोशिश माना जा रहा है।

यूरोपीय संघ के साथ रिश्तों पर प्रभाव

नवरोकी की जीत से यूरोपीय संघ के साथ पोलैंड के संबंधों पर भी असर पड़ सकता है। टस्क सरकार यूरोपीय मूल्यों के पक्ष में खड़ी थी, जबकि नवरोकी की विचारधारा पीआईएस के समान संप्रभुता और पारंपरिक मूल्यों पर केंद्रित है। इसका मतलब यह हो सकता है कि पोलैंड एक बार फिर ईयू के कुछ नीतिगत दबावों के खिलाफ मुखर रुख अपना सकता है।

करोल नवरोकी की जीत से पोलैंड के राजनीतिक परिदृश्य में अस्थिरता आने की आशंका गहराई है। एक ओर डोनाल्ड टस्क की सरकार सुधारों की दिशा में आगे बढ़ना चाहती है, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रपति नवरोकी के वीटो अधिकार इन योजनाओं को रोक सकते हैं। यदि दोनों नेताओं के बीच समझौता नहीं हुआ, तो पोलैंड आने वाले वर्षों में लगातार नीतिगत टकराव और राजनीतिक संघर्ष का गवाह बन सकता है।

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