लद्दाख की राजधानी लेह में हिंसक झड़पों में 4 प्रदर्शनकारियों की मौत और 90 से अधिक घायल हुए। हालात पर काबू पाने के लिए प्रशासन ने स्कूल-कॉलेज दो दिन के लिए बंद कर दिए और अब तक 50 लोग हिरासत में लिए गए।
Leh Violence: लद्दाख की राजधानी लेह में हालात अभी भी असामान्य बने हुए हैं। सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई हालिया झड़प के बाद तनाव बढ़ गया है। इस हिंसा में चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है जबकि 90 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। मौजूदा स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है और शुक्रवार से दो दिन के लिए सभी सरकारी और निजी स्कूलों, कॉलेजों और आंगनवाड़ी केंद्रों को बंद करने का आदेश जारी किया है।
कर्फ्यू के बीच लेह में शांति की कोशिश
गुरुवार को लेह के कई हिस्सों में कर्फ्यू जारी रहा। हालांकि पुलिस का कहना है कि हालात अब नियंत्रण में हैं और कहीं से भी नई घटना की सूचना नहीं मिली है। इसके बावजूद प्रशासन कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। इसी कारण जिला मजिस्ट्रेट रोमिल सिंह डोनक ने आदेश जारी किया कि सभी शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे। यह कदम इसलिए भी उठाया गया है ताकि बच्चों और युवाओं को किसी अप्रिय स्थिति से दूर रखा जा सके और माहौल को सामान्य करने की कोशिश की जा सके।
सोनम वांगचुक ने छोड़ी भूख हड़ताल
लेह हिंसा का असर जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर भी पड़ा है। उन्होंने अपनी पखवाड़े भर से चल रही भूख हड़ताल को बीच में ही खत्म कर दिया। वांगचुक ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि यह लद्दाख के लिए सबसे दुखद दिन है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों से हम शांतिपूर्ण रास्ते पर चल रहे थे लेकिन अब यह संघर्ष हिंसक हो गया है, जो हमारे आंदोलन के लिए नुकसानदायक है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे हिंसा से दूरी बनाए रखें और आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ाएं।
केंद्र सरकार और कार्यकर्ता आमने-सामने
हिंसा की पृष्ठभूमि में केंद्र सरकार ने सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है। गृह मंत्रालय ने आरोप लगाया कि भीड़ द्वारा की गई हिंसा उनके भड़काऊ बयानों से प्रेरित थी। हालांकि, वांगचुक ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें बलि का बकरा बनाने की कोशिश हो रही है। उनके अनुसार, सरकार असली मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए यह रणनीति अपना रही है।
वांगचुक ने यहां तक कहा कि वह जन सुरक्षा अधिनियम (Public Safety Act) के तहत गिरफ्तारी के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने सरकार को चेताया कि इस समय चालाकी नहीं बल्कि बुद्धिमत्ता की जरूरत है क्योंकि लद्दाख के युवा पहले से ही निराश और हताश हैं।
50 लोग हिरासत में, हिंसा पर सख्त कार्रवाई
लेह एपेक्स बॉडी (LAB) द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान हुई हिंसा में अब तक 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इस संगठन ने लद्दाख के लिए छठी अनुसूची का विस्तार, राज्य का दर्जा, लेह और कारगिल के लिए अलग लोकसभा सीटें और रोजगार में आरक्षण जैसी मांगों को लेकर प्रदर्शन का आह्वान किया था। प्रदर्शन के दौरान स्थिति बिगड़ गई और सुरक्षाबलों से झड़प हो गई। हिंसा के बाद से प्रशासन अलर्ट पर है और सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया गया है।
लद्दाख की मांगें
लद्दाख में लंबे समय से राज्य का दर्जा देने की मांग उठ रही है। लोगों का कहना है कि वर्तमान ढांचा उनकी आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रहा है। स्थानीय संगठनों का मानना है कि छठी अनुसूची का विस्तार यहां की सांस्कृतिक और भौगोलिक विशिष्टताओं को संरक्षित करने के लिए जरूरी है। रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के मुद्दों ने भी आंदोलन को ताकत दी है। लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटों की मांग इसलिए की जा रही है ताकि दोनों क्षेत्रों को बराबर प्रतिनिधित्व मिल सके।