सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स और करोड़ों लाइक्स बटोरने वाली मशहूर इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर संदीपा विर्क को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 40 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया है।
Crime News: इंस्टाग्राम पर 12 लाख से अधिक फॉलोअर्स वाली मशहूर इन्फ्लुएंसर संदीपा विर्क को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 40 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया है। यह मामला मोहाली के एक थाने में दर्ज उस एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत उनके खिलाफ आरोप लगाए गए थे। शिकायत के अनुसार, संदीपा विर्क पर झूठे बहाने और गलत बयानी के जरिए लोगों से बड़ी रकम ऐंठने का आरोप है।
संदीपा विर्क इंस्टाग्राम पर 12 लाख से अधिक फॉलोअर्स रखने वाली एक पॉपुलर कंटेंट क्रिएटर हैं। अपने फैशन, ब्यूटी और लाइफस्टाइल पोस्ट के जरिए उन्होंने सोशल मीडिया पर बड़ी फैन फॉलोइंग बनाई। लेकिन अब उनका नाम एक बड़े आर्थिक अपराध से जुड़ने के बाद सुर्खियों में है।
मामला कैसे शुरू हुआ?
यह मामला मोहाली के एक पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत शिकायत की गई थी। आरोप के अनुसार, संदीपा ने गलत बयानी और झूठे वादों के जरिए लोगों से करोड़ों रुपये ऐंठे। धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत कार्रवाई करते हुए, प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार और बुधवार को दिल्ली और मुंबई में संदीपा विर्क से जुड़े कई ठिकानों पर तलाशी ली। इस दौरान जांचकर्ताओं को कई शेल कंपनियों, संदिग्ध बैंक लेन-देन और डिजिटल ट्रांजैक्शंस से जुड़े अहम सबूत मिले।
फर्जी वेबसाइट का पर्दाफाश
ED की रिपोर्ट के मुताबिक, संदीपा ने खुद को Hyboocare.com नामक एक वेबसाइट की मालिक बताया, जो FDA-अनुमोदित सौंदर्य उत्पाद बेचने का दावा करती थी। लेकिन जांच में सामने आया कि:
- वेबसाइट पर लिस्ट किए गए उत्पाद वास्तव में मौजूद नहीं थे।
- साइट पर यूज़र रजिस्ट्रेशन सुविधा नहीं थी।
- पेमेंट गेटवे लगातार विफल रहता था।
- वेबसाइट की सोशल मीडिया पर कोई वास्तविक मौजूदगी नहीं थी।
जांच एजेंसी के अनुसार, यह प्लेटफ़ॉर्म केवल निवेशकों और ग्राहकों से पैसा जुटाने के लिए बनाया गया था, जबकि कोई वास्तविक बिजनेस ऑपरेशन नहीं हो रहा था। ED का कहना है कि संदीपा ने इस फर्जी बिजनेस मॉडल के जरिए लोगों से करोड़ों रुपये जुटाए और इन पैसों को रियल एस्टेट और लग्जरी आइटम्स में निवेश कर दिया। जब पीड़ितों ने रिफंड की मांग की तो उन्हें बहाने बनाकर टाल दिया गया।