कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने NCERT की आठवीं कक्षा की इतिहास किताब में अहोम साम्राज्य पर गलत तथ्य लिखने का आरोप लगाया। उन्होंने शिक्षा मंत्री से सुधार और असम के इतिहासकारों से राय लेने की मांग की।
गुवाहाटी: असम में अहोम साम्राज्य के इतिहास को लेकर नई बहस छिड़ गई है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने दावा किया है कि एनसीईआरटी की आठवीं कक्षा की संशोधित इतिहास की किताब में अहोमों के बारे में कई तथ्यात्मक गलतियां लिखी गई हैं। उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से इन त्रुटियों को जल्द ठीक कराने की मांग की है और आग्रह किया है कि इसके लिए असम के इतिहासकारों और विशेषज्ञों से राय ली जाए।
अहोम साम्राज्य का गौरवशाली इतिहास
अहोम वंश ने वर्तमान असम और आसपास के क्षेत्रों पर लगभग 600 वर्षों तक शासन किया था। यह वंश अपनी युद्ध कौशल, प्रशासनिक प्रणाली और सांस्कृतिक योगदान के लिए प्रसिद्ध रहा है। अहोमों ने कई बार मुगलों की सेनाओं को पराजित किया और असम की स्वतंत्रता को बनाए रखा।
लेकिन गौरव गोगोई के अनुसार, इस गौरवशाली इतिहास को एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तक में गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है, जिससे न केवल छात्रों को भ्रम होगा, बल्कि असम की सांस्कृतिक विरासत के साथ भी अन्याय होगा।
म्यांमार नहीं, चीन के युन्नान से आए थे अहोम
गोगोई ने सबसे बड़ा आपत्ति इस बात पर जताई कि किताब में अहोम लोगों को म्यांमार से आया बताया गया है। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक रूप से गलत है। असल में, अहोम समुदाय चीन के युन्नान प्रांत के मुंग माओं क्षेत्र से आया था और बाद में ब्रह्मपुत्र घाटी में आकर बसा।
उन्होंने कहा कि इस तरह की गलतियां छात्रों को गलत जानकारी देंगी और ऐतिहासिक तथ्यों को विकृत करेंगी।
'पाइक सिस्टम' पर आपत्ति
एनसीईआरटी की किताब में 'पाइक सिस्टम' को जबरन मजदूरी का एक रूप बताया गया है, जिस पर गोगोई ने आपत्ति जताई। उनके अनुसार, यह एक प्रशासनिक और सैन्य सेवा व्यवस्था थी, जिसमें किसानों और आम लोगों को जमीन और तरक्की के अवसर दिए जाते थे। इसमें हर वयस्क पुरुष को सैन्य सेवा या अन्य सरकारी कार्यों में योगदान देना होता था। इसे मात्र 'जबरन मजदूरी' कहना ऐतिहासिक रूप से गलत और भ्रामक है।
'घिलाजारिघाट की संधि' को लेकर विवाद
किताब में 1663 की 'घिलाजारिघाट की संधि' को अहोमों की हार के रूप में दर्शाया गया है, जबकि गोगोई का कहना है कि यह मुगलों को हराने की एक रणनीति थी। उनके अनुसार, यह संधि असम की राजनीतिक चतुराई और कूटनीति का हिस्सा थी, जिससे अहोमों ने अपने साम्राज्य की रक्षा की।
अहम सांस्कृतिक धरोहरों की अनदेखी
गौरव गोगोई ने यह भी कहा कि किताब में अहोम काल की महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और वास्तुकला धरोहरों को नजरअंदाज किया गया है। उदाहरण के तौर पर, 'रंग घर', 'तलातल घर' और 'खेल प्रशासनिक प्रणाली' जैसे विषयों का उल्लेख नहीं किया गया है। इन धरोहरों और व्यवस्थाओं ने असम की सांस्कृतिक पहचान को आकार दिया है, और इन्हें पाठ्यपुस्तक में स्थान मिलना चाहिए था।