उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बिजली विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाते हुए अफसरों को कड़ी चेतावनी दी है। लखनऊ में हुई समीक्षा बैठक के दौरान मंत्री का गुस्सा उस वक्त फूट पड़ा जब अधिकारी प्रदेशभर में बिजली व्यवस्था को लेकर सकारात्मक रिपोर्ट देने लगे, जबकि जमीनी हालात इसके बिल्कुल उलट हैं। मंत्री ने प्रदेशभर के एक्सियन, UPPCL चेयरमैन सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के सामने कहा कि बिजली विभाग कोई बनिया की दुकान नहीं है, जो केवल बिल वसूलने का काम करे। यह जन सेवा का माध्यम है और उसी भावना से काम होना चाहिए।
हाल ही में कई जिलों में बिजली कटौती, फाल्ट की शिकायत और ट्रांसफॉर्मर न बदले जाने जैसे मुद्दों पर लगातार शिकायतें मिल रही थीं, जिनमें खुद मंत्री के कार्यक्रमों के दौरान बिजली गुल होने की घटनाएं भी शामिल हैं। ऐसे में विभागीय लापरवाही को लेकर उन्होंने तीखे तेवर दिखाए और चेताया कि अब काम करने का तरीका पूरी तरह से बदलना होगा।
मीटिंग में जमकर बरसे मंत्री
बैठक के दौरान जब अधिकारी बिजली आपूर्ति को सामान्य बताने लगे तो मंत्री एके शर्मा ने उन्हें बीच में रोकते हुए कहा, आप लोग अपनी बकवास बंद कीजिए, मैं आपकी बातें सुनने नहीं बैठा हूं। उन्होंने अधिकारियों को चेताया कि कागज़ों में सबकुछ ठीक दिखाने से हकीकत नहीं बदलती। उन्होंने जोर देकर कहा कि जमीनी स्तर पर जनता बिजली संकट से जूझ रही है और आप लोग सिर्फ रिपोर्ट में सब कुछ अच्छा दिखा रहे हैं।
बैठक का यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें मंत्री की तल्खी और अधिकारियों की चुप्पी स्पष्ट दिखाई दे रही है। यह मामला अब सार्वजनिक बहस का विषय बन चुका है और बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
मंत्री ने गिनाईं लापरवाही की वजहें
एके शर्मा ने अफसरों पर झूठी रिपोर्ट भेजने और जनता की समस्याओं की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि “आप लोग अंधे, बहरे और काने होकर बैठे हैं। आपको असल समस्याओं का अंदाजा तक नहीं है।” उन्होंने कहा कि वास्तविकता से मुंह मोड़ने की आदत छोड़िए और जनता की सेवा को प्राथमिकता दीजिए।
उन्होंने यह भी सवाल किया कि जो उपभोक्ता समय पर बिल भर रहे हैं, उनके ट्रांसफॉर्मर क्यों नहीं बदले जाते? और किसी एक उपभोक्ता की गलती पर पूरे गांव की बिजली लाइन क्यों काट दी जाती है? मंत्री ने इन मुद्दों को लेकर अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की बात भी कही।
72 करोड़ का बिल भेजा
मंत्री ने समीक्षा बैठक में उस मामले पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिसमें एक आम उपभोक्ता को ₹72 करोड़ का बिजली बिल थमा दिया गया था। उन्होंने कहा कि इस तरह की गलतियों से लोगों का विभाग से भरोसा उठ रहा है। मंत्री ने विजिलेंस टीमों की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि ये टीमें गलत जगह छापेमारी कर रही हैं और एफआईआर के नाम पर अवैध वसूली कर रही हैं। उन्होंने ऐसे मामलों में अब सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।
अब लिखित आदेश ही मान्य होंगे
बैठक के अंत में ऊर्जा मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि अब मौखिक आदेशों से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि “मैं बोल-बोलकर थक गया हूं, अब सबकुछ लिखित में दिया जाएगा और उसका पालन अनिवार्य होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर अफसर उनकी बात नहीं मानते, तो यह जानना जरूरी है कि वे आखिर किसके निर्देश पर काम कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि अफसर यह न समझें कि वे जवाबदेह नहीं हैं। "मैं जनता और विधानसभा के प्रति जवाबदेह हूं। आप लोगों को मनमानी करने का अधिकार किसने दिया?" मंत्री ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि संविदा कर्मियों की अनियमित छंटनी, अधिकारियों द्वारा फोन न उठाना और बिजली से जुड़ी दुर्घटनाओं जैसे मुद्दों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।
जनता को मिलेगी राहत
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने साफ किया है कि अब बिजली विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। जनता की समस्याओं को प्राथमिकता दी जाएगी और लापरवाही बरतने वाले किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि आने वाले समय में प्रदेश की बिजली व्यवस्था में सुधार होगा और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा मिलेगी।