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प्रशांत किशोर का केंद्र पर हमला: एमएनएस हिंसा पर अमित शाह की चुप्पी पर खड़े किए सवाल

प्रशांत किशोर का केंद्र पर हमला: एमएनएस हिंसा पर अमित शाह की चुप्पी पर खड़े किए सवाल

सीतामढ़ी में आयोजित बिहार बदलाव जनसभा में जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने केंद्र और राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने महाराष्ट्र में बिहारी युवाओं पर हमले को लेकर केंद्र की चुप्पी पर सवाल उठाए और चुनाव आयोग की SIR प्रक्रिया व डोमिसाइल नीति को भाजपा और नीतीश सरकार की चुनावी चाल करार दिया। किशोर ने बदलाव की अपील की।

नई दिल्ली: प्रशांत किशोर ने सीतामढ़ी के डुमरा फुटबॉल ग्राउंड में आयोजित जनसभा में महाराष्ट्र में बिहारी युवाओं पर हुए हमले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी सरकार को घेरा। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव के वक्त बिहार आने वाले नेता घटनाओं पर चुप्पी साधे रहते हैं। किशोर ने SIR प्रक्रिया को वंचित तबकों के वोट अधिकार पर हमला बताया और डोमिसाइल नीति को युवाओं को भ्रमित करने की चाल कहा। उन्होंने जनता से जागरूक होकर बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाने की अपील की।

महाराष्ट्र में बिहारी युवाओं पर हमले को लेकर अमित शाह पर सवाल

प्रशांत किशोर ने महाराष्ट्र में मराठी नहीं बोलने पर बिहारी युवाओं के साथ हुई मारपीट का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि जब महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और उसी राज्य में एमएनएस के कार्यकर्ताओं ने बिहार के युवाओं को मारा, तो गृहमंत्री अमित शाह और केंद्र की पूरी सरकार चुप क्यों रही। किशोर ने दावा किया कि अमित शाह चुनाव के वक्त बिहार आते हैं, भाषण देते हैं, लेकिन बिहार के बच्चों पर जब हमला होता है, तब कोई प्रतिक्रिया नहीं देते।

उन्होंने इस मुद्दे को सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक चिंता बताया और कहा कि यह बिहार की अस्मिता से जुड़ा सवाल है। किशोर ने अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी को सिर्फ चुनावी नेता बताते हुए आरोप लगाया कि वे चुनाव के सिवा बिहार में एक रात भी नहीं बिताते।

चुनाव आयोग के SIR मामले में बीजेपी पर गंभीर आरोप

प्रशांत किशोर ने चुनाव आयोग के SIR (Systematic Investigation of Roll) के तहत चल रहे मतदाता सूची सत्यापन अभियान को लेकर भी केंद्र सरकार और विशेष रूप से बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि आयोग गरीब, वंचित और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के वोटर लिस्ट से नाम हटाने की कोशिश कर रहा है। किशोर ने लोगों से अपील की कि वे घबराएं नहीं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि आधार कार्ड रखने वाला हर व्यक्ति वोट देने का अधिकारी है।

उन्होंने यह भी दावा किया कि अगर किसी का नाम मतदाता सूची से हटाया जाता है, तो वे खुद उसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। किशोर ने यह संकेत भी दिया कि भले ही नाम हटें, फिर भी बाकी बचा मतदाता वर्ग बीजेपी को हराने के लिए पर्याप्त होगा।

डोमिसाइल नीति को बताया चुनावी स्टंट

बिहार सरकार द्वारा हाल में शिक्षक बहाली TRE-4 में डोमिसाइल नीति लागू करने की घोषणा पर भी प्रशांत किशोर ने सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि अब तक TRE-1 से TRE-3 तक करीब तीन लाख शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है और उनमें अधिकांश बाहर के उम्मीदवार थे। किशोर ने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा में बाहरी राज्यों के लोगों को बिहार में नौकरी दी और अब विधानसभा चुनाव के पहले यह दिखावटी नीति लाई जा रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार डोमिसाइल नीति लागू कर रही है तो यह स्पष्ट करे कि कितने प्रतिशत पद बिहार के युवाओं को मिलेंगे। किशोर ने इसे युवाओं को धोखा देने वाला कदम बताया और कहा कि सरकार जन सुराज के बढ़ते जनाधार से घबरा चुकी है, इसी दबाव में पेंशन, मानदेय और डोमिसाइल जैसे मुद्दों पर फैसले किए जा रहे हैं।

जनसभा से बदलाव की अपील

अपने संबोधन के दौरान प्रशांत किशोर ने बिहार के युवाओं और जनता से अपील की कि वे सरकारों की दिखावटी घोषणाओं और चुनावी हथकंडों को समझें और बदलाव की दिशा में आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि बीते बीस वर्षों में किसी भी सरकार ने राज्य में कोई ठोस सुधार नहीं किया, सिर्फ चुनाव के वक्त घोषणाएं हुईं। किशोर ने जन सुराज को एक उम्मीद बताते हुए भरोसा जताया कि अगर जनता उन्हें अवसर देती है तो वे बिहार में नीतिगत सुधार और पारदर्शी शासन की नींव रखेंगे।

 

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