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RBI का नया AI टूल MuleHunter.ai बैंक धोखाधड़ी पर रखेगा नज़र

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के इनोवेशन हब ने हाल ही में MuleHunter.ai नाम का एक नया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल विकसित किया है। 

देश में डिजिटल क्रांति जहां एक ओर आर्थिक लेनदेन को तेज, सरल और पारदर्शी बना रही है, वहीं दूसरी ओर यह साइबर अपराधियों के लिए भी एक सुनहरा अवसर बन गई है। हाल ही में सामने आए आंकड़ों के अनुसार, भारत में बैंक धोखाधड़ी के मामलों में पिछले कुछ वर्षों में तीन गुना वृद्धि हुई है। खास बात यह है कि यह बढ़ोतरी केवल हालिया मामलों की नहीं, बल्कि पुराने मामलों की दोबारा जांच और नए डेटा विश्लेषण के बाद सामने आई है।

बढ़ती धोखाधड़ी और बदलते तरीके

आज के समय में बैंक धोखाधड़ी केवल नकली दस्तावेजों से लोन लेने तक सीमित नहीं है। अब ऑनलाइन फ्रॉड, फिशिंग अटैक, SIM क्लोनिंग, फर्जी UPI ID और फर्जी खातों के जरिए भारी संख्या में ठगी की जा रही है। खासकर छोटे-छोटे ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के माध्यम से की जा रही धोखाधड़ी अब बैंकों और ग्राहकों दोनों के लिए बड़ा खतरा बन चुकी है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल या कार्ड-बेस्ड ट्रांजैक्शंस में 50 प्रतिशत से ज्यादा फ्रॉड हो रहे हैं। हालांकि कुल धोखाधड़ी की राशि में इनकी हिस्सेदारी मात्र 1.4 प्रतिशत है, लेकिन इनकी संख्या इतनी अधिक है कि यह चिंता का विषय बन चुकी है। हर साल रिपोर्ट हुए मामलों के अनुसार करीब 10 लाख से ज्यादा छोटे-मोटे फ्रॉड दर्ज किए जा रहे हैं, जबकि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।

UPI: सुविधा या सुरक्षा में सेंध?

यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी UPI ने भारत में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। सालाना 3 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा के ट्रांजैक्शन UPI के जरिए हो रहे हैं। यह सिस्टम न केवल 24x7 पेमेंट की सुविधा देता है बल्कि इसके अधिकतर ट्रांजैक्शन मुफ्त हैं। हालांकि, यही सरलता अब साइबर अपराधियों के लिए हथियार बनती जा रही है।

आज कोई भी व्यक्ति आसानी से वर्चुअल पेमेंट ID बना सकता है और पैसे मंगा सकता है। पर जब ऐसी ID किसी संदिग्ध या फर्जी नाम से जुड़ी हो, जैसे amazon@money से जुड़ा खाता किसी ckilpz louxn नाम के व्यक्ति से जुड़ा हो, तो यह गंभीर खतरे का संकेत देता है। सिक्योरिटी रिसर्चर करन सैनी द्वारा की गई जांच में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जो वर्चुअल ID के जरिए ठगी की नई तकनीक को उजागर करते हैं।

नकली खातों का बढ़ता जाल

भारत में आधार के जरिये डिजिटल पहचान को मजबूत बनाने की कोशिश की गई है। लेकिन इसके बावजूद पहचान की चोरी और नकली खातों के जरिए बैंकिंग फ्रॉड रुक नहीं रहे हैं। बैंकों द्वारा बार-बार KYC दस्तावेजों की मांग करने के बावजूद म्यूल अकाउंट्स (फर्जी नामों पर खोले गए बैंक खाते) का इस्तेमाल ऑनलाइन सट्टेबाजी, क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन और अवैध बेटिंग के लिए हो रहा है।

ये नकली खाते असली ग्राहकों की तरह व्यवहार करते हैं, लेकिन इनके पीछे अपराधी नेटवर्क काम करता है। ये नेटवर्क ग्राहकों को छोटे लाभ का लालच देकर उनके खातों का उपयोग अवैध लेनदेन के लिए करते हैं, और बाद में उन्हें सिस्टम से बाहर कर दिया जाता है।

RBI की पहल: MuleHunter.ai

भारतीय रिजर्व बैंक के इनोवेशन हब ने धोखाधड़ी से निपटने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित टूल MuleHunter.ai लॉन्च किया है। यह टूल संदिग्ध लेनदेन की पहचान करने और म्यूल अकाउंट्स को ट्रैक करने में मदद करता है। इसके अलावा डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म का एक प्रोटोटाइप भी तैयार किया जा रहा है, जो सिस्टम को और मजबूत बना सके।

हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि केवल संदिग्ध ट्रांजैक्शन पकड़ना ही काफी नहीं है। जब तक बैंकों और संबंधित संस्थानों को तुरंत कार्रवाई का अधिकार नहीं दिया जाएगा, तब तक पीड़ितों को राहत नहीं मिल सकती।

कानूनी ढांचा और सीमाएं

भारत में मनी लॉन्ड्रिंग कानून अभी भी बैंकों को ऐसे मामलों में तुरंत कार्यवाही करने की अनुमति नहीं देते। खासकर जब मामला अंतरराज्यीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर का हो, तो जांच और धन वापसी की प्रक्रिया और अधिक जटिल हो जाती है। इसके अलावा, बैंकों के पास पर्याप्त साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ नहीं हैं, जिससे तुरंत रिस्पॉन्स संभव नहीं हो पाता।

कुछ क्षेत्र कर रहे हैं सुधार

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अक्टूबर 2025 से कुछ वित्तीय संस्थाओं जैसे ब्रोकर्स, रिसर्च एनालिस्ट्स और म्यूचुअल फंड्स के लिए वर्चुअल पेमेंट हैंडल में @valid सैफिक्स अनिवार्य किया है। इससे लेनदेन में पारदर्शिता और पहचान की पुष्टि में मदद मिलेगी। हालांकि यह कदम जरूरी है, लेकिन केवल यह उपाय पर्याप्त नहीं कहा जा सकता।

डिजिटल सुरक्षा के लिए नई रणनीति की जरूरत

भारत को अब एक ऐसी डिजिटल भुगतान प्रणाली की ओर बढ़ना होगा जो सुरक्षित, स्थायी और लचीली हो। वर्तमान में UPI मर्चेंट्स के लिए मुफ्त है, लेकिन इस सुविधा ने पेमेंट गेटवे और ऐप्स के लिए आय का स्रोत कम कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अब समय आ गया है कि Google Pay, PhonePe, Paytm जैसे ऐप्स और बैंकों को अपनी सेवाओं के लिए न्यूनतम शुल्क वसूलने की अनुमति दी जाए, ताकि वे अपनी सुरक्षा प्रणालियों में निवेश कर सकें।

इसके साथ ही NPCI को निजी कंपनियों को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की छूट देनी चाहिए, ताकि एक मजबूत और प्रोफेशनल डिजिटल इकोसिस्टम विकसित हो सके।

 

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